Description
"मिथिला में वेद और वेदाङ्ग" इस शीर्षक का यह ग्रन्थ सात साल पहले पुरी में लिखा गया था, जो संयोग से आज आपके हाथों में है। प्रस्तुत पुस्तक को सामान्यतः दो भागों में बाँटा गया है, जिनमें से प्रथम भाग में मिथिला का संक्षिप्त परिचय, वैदिक ग्रन्थों में मिथिला से सम्बद्ध-विषय, वेद संहिता ब्राह्मण-आरण्यक तथा उपनिषदों का सामान्य परिचय, उपवेदों का परिचय दिया गया है। इसके दूसरे भाग में वेद उपवेद-व्याकरण छन्दः शास्त्र एवं ज्योतिष विषयों में तथा अन्य वेदाङ्गों में भी जो कुछ योगदान मिथिला का रहा है, उन सभी विषयों पर क्रमबद्ध रीति में प्रकाश डाला गया है। माथ ही पर्गिशष्ट में मिलसिलेवार ढंग से सूची भी दी गयी है, जिसमे जिज्ञासु पाठकों को त्वरित लाभ मिल सके। साथ ही यह पुस्तक उन लोगों की निश्चय सहायता करेगी, जो सम्बद्ध विषय या विषयों पर शोध करना चाहते हैं तथा जो इतिहास के प्रति अभिरुचि रखते हैं।