Description
सुश्रुतसंहिता-अनुवादकः अनिदेव
आयुर्वेद के प्राचीन संहिता - ग्रन्थों में सुश्रुतसंहिता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें आचार्य सुश्रुत ने ऐसे सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है जो सभी चिकित्सा-पद्धतियों के लिए मार्गदर्शन करा सकते हैं। सैद्धान्तिक विषयों का प्रतिपादन करने के अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद के आठ अंगों का भी विवरण दिया गया है। इसमें शल्यक्रिया को प्रधानता दी गई है।
ग्रन्थ कई 'स्थानों' में विभाजित है- सूत्र, निदान, शरीर, चिकित्सा, कल्प। अन्त में 'उत्तरतन्त्रम्' के साथ इस ग्रन्थ की समाप्ति हुई है।
आधुनिक चिकित्साशास्त्र-धर्मदत्त वैद्य
प्रस्तुत पुस्तक में रोगों के निदान - कारण, लक्षण और उनके भेद-प्रभेद बताकर चिकित्सा का उपाय बताया गया है। इतना ही नहीं, किसी भी रोग के सूक्ष्म लक्षणों पर प्रकाश डालने के बाद तदनुसार ही औषधियों का निर्देश किया गया है। इस ग्रन्थ की यह विशेषता है कि इसमें आधुनिक कायचिकित्सा के वर्णन के साथ-साथ आयुर्वेदिक कायचिकित्सा का भी उल्लेख किया गया है। ये दोनों चिकित्सा पद्धतियाँ एक-दूसरी की सहायक होकर हमें पूर्णता (चिकित्सा में सफलता) की ओर ले जाती हैं और यही चिकित्सा-पद्धति का लक्ष्य है।
मानवशरीर-रचना (तीन भागों में) – डॉ - डॉ॰ मुकुन्दस्वरूप वर्मा
प्रस्तुत पुस्तक के प्रमुख तीन प्रकरण हैं - १. ऊतकविज्ञान, २. भ्रूणविज्ञान और ३. अस्थि - प्रकरण । १. ऊतकविज्ञान - इस प्रकरण में कोशिकाओं की उत्पत्ति, शरीर की सामान्य रचना, शरीर के अनेक उपकला आदि ऊतक, शरीर के तरल रुधिर आदि पदार्थ तथा जालक अन्तःकलातन्त्र का विवेचनात्मक विशद् वर्णन है।
१. भ्रूणविज्ञान - इस प्रकरण में डिम्ब शुक्राणु, भ्रूण की रचना, पोषण, अस्थि, मेरु, मस्तिष्क, ज्ञानेन्द्रियों एवं शिराओं का परिवर्धन, हृदय, धमनी, शिरा, लसीका, वासिका तन्त्र, शरीर की गुहाओं का परिवर्धन तथा भ्रूण की वृद्धि की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं की निदर्शन आदि अनेक विषयों का विस्तार से दिया गया है।
३. अस्थि-प्रकरण- इसमें मेरुदंड या कशेरुका की सामान्य रचना, उरेस्थिपर्शुकाएँ, उपास्थियाँ, वक्ष, करोटि (कपाल की विभिन्न दशाएँ), ललाटास्थि, पुरुष-स्त्री करोटियों में अन्तर, हाथ-पाँव, अध: अंग की अन्य अस्थियों के भेद-प्रभेद का विस्तृत विवेचन है।
इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि शरीर के रचना-संबंधी प्रत्येक विषय का चित्रों द्वारा ऐसा समझाने का प्रयत्न किया गया है जिससे अंगों, उपांगों, अस्थियों, भ्रूण-अवस्थाओं का आवश्यक ज्ञान शीघ्र ही प्राप्त हो सके।
अन्त में रचना-संबंधी हिन्दी शब्दों के अंग्रेजी पर्याय दिए गए हैं जो आयुर्वेदिक और मेडिकल दोनों अध्येताओं के लिए उपयोगी हैं।
05 Stars
PANDURANGA PRABHU