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  • गौतम ऋषियों का वैदिक वाङ्ग्मय में योगदान-Gautama Rishiyon Kaa Vedica Vangmaya Men Yogadan by Vedacarya Dr. Keshav Prasad Mishra
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गौतम ऋषियों का वैदिक वाङ्ग्मय में योगदान-Gautama Rishiyon Kaa Vedica Vangmaya Men Yogadan by Vedacarya Dr. Keshav Prasad Mishra

Gautama Rishiyon Kaa Vedica Vangmaya Men Yogadaan
Publisher: Nag Publishers
Language: Hindi, Sanskrit
Total Pages: 174
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 300.00
Unit price per
Tax included.

Description

प्रस्तुत ग्रन्थ 'गोतम ऋषियों का वैदिक वाङ्मय में योगदान' उपलब्ध वैदिक वाङ्मय के आधार पर सप्रमाण लिखा गया है। वैदिक भाग तथा पौराणिक भागों में लिखा जाने वाला यह ग्रन्थ गोतमगोत्रीय ऋषियों के तपोबल तथा भारतीय जन के सामाजिक तथा सांस्कृतिक उन्नयन एवं वैदिक सभ्यता के प्रचार-प्रसार का परिचायक है। वैदिक गौतम राहगण ने यदि पंचाल स्थित सरस्वती नदी से. विहार स्थित सदानीरा नदी तक वैश्वानर को लाकर वैदिक यज्ञाग्नि का प्रचार कर पावन प्रदेश बनाया तो पौराणिक गौतम महर्षि ने अपने आश्रम में समस्त ऋषियों तथा भारतीय जनों का २४ वर्ष के अवर्पण में भरण-पोषण कर तथा शंकर के जटाजूट से गोदावरी गंगा को भूतल पर लाकर दक्षिण भारत को पूत तथा सुसमृद्ध किया। प्राचीन भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक तथा चारित्रिक विशेषता, अङ्गिरा, गौतम राहूगण, नोधा, वामदेव, बृहदुक्थ दीर्घतमा, कक्षीवान्, आरुणि उद्दालक, श्वेतकेतु, नचिकेता, अयास्य, घोषा, उतथ्य और उशना के कर्तृत्व में समाविष्ट है। वैदिक अर्थ के विरुद्ध अहल्या के लोकापवाद के सम्बन्ध में किये गये परवर्ती दुष्प्रचार का सर्वप्रथम सप्रमाण खण्डन एक पृथक् परिच्छेद में यहाँ किया गया है। इस प्रकार ऐतिहासिक सूचनाओं, ऋषि-मर्यादाओं तथा वैज्ञानिक तथ्यों को उद्घाटित करता है यह ग्रन्थ। मन्त्रद्रष्टा वैदिक ऋषियों को साधना और तपस् के विषय में जनसाधारण को विशेष जानकारी नहीं है। प्रस्तुत ग्रन्थ इस अभाव की पूर्ति की दशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। वेदाचार्य डॉ. केशवप्रसाद मिश्र, जो इस ग्रन्थ के रचयिता हैं, स्वयं भी गोतम ऋषियों के गोत्र में समुत्पन्न मनोगी हैं।