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रुक्मिणीकल्याण महाकाव्य: Rukmini Kalyan (Set of 2 Vols)

Publisher: Nag Publishers
Language: Sanskrit
Total Pages: 784
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 800.00 Sale price Rs. 1,200.00
Unit price per
Tax included.

Description

"रुक्मिणी कल्याणम्” महाकाव्य की राजचूडामणि दीक्षित विरचित एक महत्त्वपूर्ण काव्य है। तंजोर के नायक श्री रघुनाथ के आश्रित श्रीराजचूडामणि कवि की अनेक कृतियाँ संस्कृत एवं तेलुगू भाषा में निबद्ध है परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से रुक्मिणी कल्याण महाकाव्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सन् १६३६ ईस्वी के लगभग रचित इस महाकाव्य पर श्रीराजचूड़ामणि के ही वंशज श्री बालयज्ञवेदेश्वर ने मौक्तिक मालिका संस्कृतटीका की रचना की। दक्षिणभारत में प्राप्त विशाल संस्कृत साहित्य का यह दुर्भाग्य रहा कि कई शतियों तक इन ग्रन्थ रत्नों का प्रकाशन ही नहीं हुआ । अभी तक भी अड्यार पुस्तकालय मद्रास एवं अन्य अनेक पुस्तकालयों में ऐसे अनेक ग्रन्थ हैं जो हस्तलिखित प्रति रूप में उपलब्ध हैं। रुक्मिणीकल्याण श्रीराजचूडामणि दीक्षित विरचित दशसर्गात्मक महाकाव्य है। प्रथम बार इसके मूल पाठ का प्रकाशन उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ और बाद में प्रथम दो सर्ग मौक्तिकमालिका व्याख्या सहित प्रकाशन प्राप्त होता है। लेखिका को प्रथम बार हिन्दी भाषा के माध्यम से विद्वत् गण के करकमलों में प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ है। सम्पूर्ण "रुक्मिणीकल्याण” के मूलपाठ का "जसप्रीत" नामक हिन्दी अनुवाद प्रथम बार प्रस्तुत किया है। अनुवाद करते हुए कवि द्वारा प्रस्तुत बिम्ब को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। द्वितीय भाग में ग्रन्थ का आलोचनात्मक अध्ययन विस्तार पूर्वक प्रस्तुत किया गया है। विद्वत वृन्द से विनम्र विनती है कि जहाँ जहाँ त्रुटियाँ हों लेखिका को अपनी सत्परामर्श से कृतार्थ करें। इस ग्रन्थ के प्रकाशन से संस्कृत अध्येताओं को प्रसन्नता होगी ।