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  • कालिदास की कृतियों में धर्मशास्त्रीय विषय-Kalidasa Ki Kritiyon Me Dharmashaastriya Visaya
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कालिदास की कृतियों में धर्मशास्त्रीय विषय-Kalidasa Ki Kritiyon Me Dharmashaastriya Visaya

Publisher: Nag Prakashak
Language: Hindi, Sanskrit
Total Pages: 222
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 400.00 Sale price Rs. 500.00
Unit price per
Tax included.

Description

महाकवि कालिदास की कृतियों में धर्मशास्त्रीय विषयों का अन्वेषक यह ग्रन्थ कुल आठ अध्यायों में विभक्त है। विविधधर्मशास्त्रीय विषयों में से जिनविषयों का विस्तृतवर्णन महाकवि ने अपनी कृतियों में किया है उन्हें स्वतन्त्र अध्यायों में स्थान दिया गया है। ये विषय है वर्ण आश्रम संस्कार, पञ्चमहायज्ञ, स्त्रीधर्म, तथा राजधर्म। इसी प्रकार ग्रन्थ का सातवां अध्याय तीर्थ, ब्रत यज्ञ एवं पुत्र आदि प्रकीर्णधर्मशास्त्रीय विषयों का वर्णन करता है।
इस ग्रन्थ में सर्वप्रथम कालिदास के द्वारा वर्णित विषयों से सम्बन्धित स्थलों का वर्णन करते हुए तत्सम्बन्धी धर्मशास्त्रीय विचारों का उपस्थापन किया गया है अन्त में महाकवि की तद्विषयक धारण से धर्मशास्त्रीय विचारों का समन्वय दिखलाया गया है। एक ही विषय से सम्बन्धित धर्मशास्त्रीय मतों में भिन्नता की स्थिति में वहुमान्यमत को प्रधानता दी गई है।
महाकवि द्वारा वर्णित विचारों के आधार हेतु प्रमाणों के संकलन में प्रधानतः वैदिक संहिताओं ब्राह्मणों आरण्यकों, धर्मसूत्रों, स्मृतियों, गृह्यसूत्रों, नीतिग्रन्थों तथा महाभारत की सहायता के साथ-साथ कतिपय नवीन निबन्ध ग्रन्थों के विचारों का भी आश्रय लिया गया है।
तात्पर्य यह है कि भारतीय संस्कृति के समुपासक महाकवि कालिदास द्वारा अपनी कृतियों में यत्र-तत्र उल्लिखित भारतीय संस्कृति के प्राणभूत धर्मशास्त्रीय विषयों को एकत्रित कर धर्मशास्त्रीय विचारों के साथ उनका तुलनात्मक अध्ययन इस ग्रन्थ का मूल उद्देश्य है।