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भारतीय दर्शन (शब्द अर्थ एवं सम्बन्ध)-Bhartiya Darshan

Indian Philosophy: Word, Meaning and Relation
Publisher: Nag Publishers
Language: Hindi, Sanskrit
Total Pages: 536
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 600.00 Sale price Rs. 700.00
Unit price per
Tax included.

Description

भारतीय दर्शन-शब्द अर्थ एवं सम्बन्ध नाम का यह ग्रन्थ पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है। इसमें कुल सात अध्याय हैं, इन अध्यायों में शब्द एवं अर्थ से सम्बद्ध उन सामान्य दार्शनिक तथ्यों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है जो प्रमुख रूप से भारतीय आस्तिक दर्शनों एवं पाणनीय व्याकरण में निर्दिष्ट हैं। शुद्ध शास्त्रीय पद्धति से शब्द अर्थ एवं उसके सम्बन्ध का प्रामाणिक विश्लेषण इस ग्रन्थ में उपलब्ध है। सम्भवतः हिन्दी में इस तरह का शास्त्रीय विवेचना प्रधान कोई ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है। इस विवेचना का मुख्य प्रयोजन वाक्यार्थ निर्णय है, जो स्वयं में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि हमारे अधिकतर सभी व्यवहार वाक्यों के माध्यम से होते हैं। यदि वाक्यों के अर्थ का निर्णय ही सटीक रूप में हम न कर सकें तो हमारा वाक्यमूलक समस्त व्यवहार अस्पष्ट एवं अव्यवस्थित हो जाता है।
संस्कृत के वाक्य बहुत ही व्यवस्थित होते हैं, संस्कृत व्याकरण के नियमों की सुबद्धता स्वयं में अप्रतिम है; इसीलिए संस्कृत वाक्यों को ही आधार बनाकर मुख्य रूप से वाक्यार्थ निर्णय किया जा सकता है। इसी दृष्टि से प्रायः संस्कृत वाक्यों को ही आधार बनाकर इस ग्रन्थ में वाक्यार्थनिर्णय की प्रक्रिया का चिन्तन किया गया है। निश्चित ही यह चिन्तन अन्य भाषाओं के वाक्यों के अर्थ निर्धारण में भी उपयोगी होगा।
इस ग्रन्थ के विषय के विस्तार में "शब्दशक्ति प्रकाशिका" (जगदीशतर्कालङ्कारकृत) का मुख्य रूप से सहयोग लिया गया है। इसीलिए इस ग्रन्थ के अन्त में "शब्दशक्तिप्रकाशिका" भी सम्पादित रूप में जोड़ दी गयी है। अध्येता इस ग्रन्थ को पढ़ने के साथ "शब्दशक्तिप्रकाशिका” के अपेक्षित मूल अंश को भली भाँति समझ सकेंगे। इस दृष्टि से भी यह ग्रन्थ बहुत ही उपयोगी है। साथ ही "शब्दशक्तिप्रकाशिका" जैसा न्याय-दर्शन का वाक्यार्थविचार प्रधान ग्रन्थ शुद्ध रूप में प्रामाणिक एवं प्राचीन टिप्पणी के साथ सम्पादित होकर इस ग्रन्थ के साथ अध्येताओं को उपलब्ध हो रहा है। यह भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।