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मध्यकालीन हिंदी काव्य- Madhyakeleen Hindi Kavya

Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 84
Available in: Paperback
Regular price Rs. 145.00
Unit price per
Tax included.

Description

मध्यमकालीन हिंदी काव्य (Medieval Hindi Poetry) भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह काव्य विशेष रूप से 12वीं से लेकर 18वीं शताब्दी तक रचा गया। इस अवधि के काव्य में धर्म, भक्ति, प्रेम, और सामाजिक जीवन की विभिन्न अवधारणाओं को प्रमुखता दी गई है। इस समय में कविता के कई रूप और शैलियाँ विकसित हुईं।

मध्यमकालीन हिंदी काव्य को तीन प्रमुख हिस्सों में बांटा जा सकता है:

1. भक्ति काव्य

भक्ति काव्य में प्रमुख रूप से ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त किया गया है। इस काव्य में भक्तों ने भगवान की भक्ति को एक साधना और मोक्ष का मार्ग माना।
कुछ प्रमुख कवि और संत:

  • रामानंद: राम की भक्ति पर आधारित काव्य रचनाएँ।
  • कबीर: संत कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की उपासना की और भक्ति का एक अद्वितीय रूप प्रस्तुत किया।
  • मीरा बाई: कृष्ण भक्ति की प्रमुख कवि, जिनकी रचनाएँ आज भी अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।
  • सूरदास: सूरदास जी की रचनाएँ विशेष रूप से श्री कृष्ण के बाल रूप की उपासना करती हैं।

2. सूफी काव्य

सूफी काव्य में ईश्वर के प्रति प्रेम और आत्मा की पवित्रता की बातें की जाती हैं। सूफी संतों ने प्रेम और भक्ति को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।

  • बुल्ले शाह: पंजाबी सूफी कवि, जिन्होंने प्रेम और भक्ति पर काव्य रचनाएँ कीं।

3. राजपूत काव्य

राजपूत काव्य में वीरता, युद्ध और अपने क्षेत्र की रक्षा की भावना को प्रमुखता दी गई है। यह काव्य रचनाएँ आमतौर पर ऐतिहासिक घटनाओं और महान व्यक्तित्वों पर आधारित होती हैं।

  • पदमावत: मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित, जो कि एक राजपूत रानी पद्मावती की वीरता और सम्मान की कहानी है।

विशेषताएँ:

  • प्रकृति का चित्रण: कवियों ने अपनी रचनाओं में प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया है।
  • काव्यशास्त्र का पालन: कवियों ने संस्कृत काव्यशास्त्र का पालन करते हुए हिंदी में कविता रची।
  • राग-रागिनियों का प्रयोग: विशेष रूप से भक्ति काव्य में संगीत और रागों का बड़ा महत्व था।