Description
अभिधम्मत्थसङ्ग्रहो (Abhidhammatthasangraha) एक महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथ है, जो ठेरवाड़ बौद्ध धर्म के अभिधम्म (अर्थात्, बौद्ध धर्म के दर्शनशास्त्र) से संबंधित है। यह ग्रंथ विशेष रूप से उब्बेदिका या अभिधम्म के तत्वों का संकलन है, जो एक वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से मानव मन, कार्यों और वास्तविकता की प्रकृति को समझाने का प्रयास करता है।
अभिधम्मत्थसङ्ग्रहो के मुख्य बिंदु:
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अभिधम्म: अभिधम्म, बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें ध्यान, भिक्षु और ध्यानकेंद्रित विज्ञान का विश्लेषण किया जाता है। यह एक बौद्ध ग्रंथ है, जो बौद्ध धर्म की शास्त्रीय और मानसिक दृष्टिकोण से मनोविज्ञान, मानसिक अवस्थाओं, तत्वों और कर्तव्यों का विश्लेषण करता है।
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सङ्ग्रह: यह शब्द संकलन या संग्रह के रूप में समझा जाता है, अर्थात् अभिधम्म के विभिन्न तत्वों का संकलन किया गया है, ताकि ये अधिक सुलभ रूप में अध्ययन और समझे जा सकें।
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रचनाकार: यह ग्रंथ आचार्य संतार (Acharya Santara) द्वारा रचित मानी जाती है। हालांकि, इसका कोई विशेष लेखक नहीं है, लेकिन यह बौद्ध धर्म के गहन विश्लेषणों को प्रस्तुत करता है।
अभिधम्मत्थसङ्ग्रहो का महत्व:
- यह ग्रंथ बौद्ध धर्म के उन सिद्धांतों का संकलन है जो लोगों को उनके मानसिक और भौतिक अनुभवों को गहरे रूप से समझने में मदद करते हैं।
- यह शास्त्र बौद्ध भिक्षुओं को साधना और ध्यान की गहरी समझ देने का उद्देश्य रखता है।
उपयोगिता:
- अभिधम्मत्थसङ्ग्रहो को बौद्ध धर्म के विद्यार्थी और भिक्षु ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए पढ़ते हैं।
- यह बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
इस ग्रंथ का अध्ययन बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को गहरे से समझने में मदद करता है और साधक को मानसिक शांति और शुद्धता की ओर मार्गदर्शन करता है।