दो शब्द
हमारे प्रिय शिष्य प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी ने इस कृति का श्लोकानुक्रम बनाया है तथा प्रूफ भी देखा है। वे जो भी कार्य करते हैं, उसे पूर्ण निष्ठा से सम्पन्न करते हैं। एतदर्थ मैं उन्हें शुभाशीर्वाद प्रदान करता हूँ। उनका मार्ग प्रशस्त हो।
हमारे पुत्र चि. डॉ. हेरम्ब ने पाण्डुलिपि तैयार करने में हमारी सहायता की है। भगवान् विश्वेश उसके मङ्गल का विधान करें।
शारदा संस्कृत संस्थान के सञ्चालक डॉ. विनोदराव पाठक ने बड़ी रुचि से इस रचना का प्रकाशन किया है। वे पुण्य के कार्यों में निरन्तर लगे रहते हैं। उनका संस्थान प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। मेरा उन्हें शुभाशीर्वाद ।
श्री धर्म पाल ने अक्षरसंयोजन का कार्य अवधानपूर्वक सम्पन्न किया है। अपने कार्य में सफल हों- यही मेरी शुभकामना है।