• कुरूद्भवम्- Kurudbhavam
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कुरूद्भवम्- Kurudbhavam

Author(s): Dr. Sudhikant Bharadwaj Kalpah
Publisher: Bhardwaj Publishing House
Language: Sanskrit
Total Pages: 244
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 800.00
Unit price per

Description

कुरूद्भवम्" (Kuru-udbhavam) एक संस्कृत पद है, जिसका शाब्दिक अर्थ है:

🔹 कुरूद्भवम् = कुरु + उद्भवम्

  • कुरु – महाभारत में प्रसिद्ध कुरु वंश, जिसमें भीष्म, पांडव, कौरव आदि हुए।

  • उद्भवम् – उत्पत्ति, जन्म या आरंभ।

👉 इसलिए "कुरूद्भवम्" का अर्थ होता है:

"कुरु वंश की उत्पत्ति" या "कुरु वंश की शुरुआत की कथा"


🔸 यह किस प्रसंग से जुड़ा हो सकता है?

संस्कृत महाकाव्य, जैसे महाभारत, हरिवंश पुराण, या किसी स्वतंत्र काव्य/नाटक में "कुरूद्भवम्" एक अध्याय या खंड हो सकता है जिसमें यह बताया गया हो कि:

  1. राजा कुरु कौन थे – और उन्होंने कुरुक्षेत्र की स्थापना कैसे की।

  2. कुरु वंश का वंशवृक्ष – शंतनु, भीष्म, विचित्रवीर्य, पांडु, धृतराष्ट्र, और आगे के वंशज।

  3. धर्म और नीति की दृष्टि से कुरु वंश का महत्व – क्योंकि यह वंश धर्म, कर्तव्य और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है।