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कौषीतकिब्राह्मणोपनिषद्- Kausitaki Brahmana Upanisad by Rakesh Shastri

Publisher: Chaukhamba Orientalia
Language: Sanskrit, Hindi
Total Pages: 212
Available in: Paperback
Regular price Rs. 400.00 Sale price Rs. 500.00
Unit price per
Tax included.

Description

भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सामान्यरूप से वेद से अभिप्राय ऋक्, यजुष्, साम तथा अथर्व से ग्रहण किया जाता है, किन्तु वस्तुस्थिति यह है कि इन चार वेदों के मन्त्रात्मक भाग के अतिरिक्त इनके व्याख्या-ग्रन्थ ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् को भी वैदिक साहित्य के अन्तर्गत ही परिगणित किया गया है। इस दृष्टि से हम सम्पूर्ण वैदिक साहित्य को चार भागों में विभाजित कर सकते हैं।

संहिता-ग्रन्थ, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक ग्रन्थ तथा उपनिषद्-ग्रन्थ।

वेदों के मन्त्रात्मक भाग संहिता-ग्रन्थों में वैदिक देवताओं की स्तुति की गयी है, जो मन्त्रों का विशुद्धरूप रहा है। इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार के यज्ञों के अवसरों पर किया जाता था, जबकि ब्राह्मण ग्रन्थों में वेद-मन्त्रों के विधि-भाग का विशेषरूप से उल्लेख हुआ है।

ब्राह्मण-ग्रन्थों के बाद आरण्यक ग्रन्थों की रचना की गयी। इनमें

वानप्रस्थ आश्रम में ५न में रहने वाले, लोगों द्वारा की जाने वाली, विधियों व अध्यात्म का उल्लेख किया गया। इसीकारण इनका नाम 'आरण्यक' पड़ा। इसके पश्चात् लिखे गए उपनिषदों में आध्यात्मिक एवं दार्शनिक सिद्धान्तों की विस्तृत चर्चा की गयी। ध्यातव्य है कि वेदों का अन्तिम भाग होने के कारण उपनिषदों को 'वेदांग' के नाम से भी अभिहित किया गया। साथ ही, उपनिषदों में आत्मा, परमात्मा तथा जीवविषयक ज्ञान की विस्तृत चर्चा होने से इन्हें 'ज्ञान-काण्ड' की संज्ञा भी प्रदान की गयी।

उपनिषद् वस्तुतः सम्पूर्ण वैदिक साहित्य के मन्थन के परिणाम स्वरूप निकलने वाले 'नवनीत' के समान हैं, जिनका आस्वादन करके, व्यक्ति आनन्द-सरोवर में अवगाहन करता है। प्रत्येक वेद के उपनिषदों की