Description
ज. कृष्णमूर्ति का ध्यान पर दृष्टिकोण पारंपरिक ध्यान पद्धतियों से भिन्न है। उनके अनुसार, ध्यान कोई तकनीक या अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आत्म-जागरूकता और आत्म-समझ का परिणाम है।
कृष्णमूर्ति के अनुसार, ध्यान का अर्थ है हर विचार और भावना को बिना किसी मूल्यांकन या निर्णय के देखना। इस प्रक्रिया में, हम अपने मानसिक और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के समझते हैं, जिससे एक गहरी शांति और स्पष्टता उत्पन्न होती है। यह शांति विचारों द्वारा निर्मित नहीं होती, बल्कि यह तब उत्पन्न होती है जब हम अपने विचारों की प्रकृति और उनके स्रोत को समझते हैं ।
उनके अनुसार, ध्यान केवल एक अलग समय में की जाने वाली क्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। यह हमारे संबंधों, प्रतिक्रियाओं और आंतरिक संघर्षों में प्रकट होता है। जब हम अपने विचारों और प्रतिक्रियाओं को बिना किसी निर्णय के देखते हैं, तो हम अपने भीतर की गहरी समझ और शांति को अनुभव करते हैं ।
कृष्णमूर्ति की पुस्तक "ध्यान" में उन्होंने इन विचारों को विस्तार से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक उनके ध्यान पर दृष्टिकोण को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
यदि आप इस पुस्तक को पढ़ने में रुचि रखते हैं, तो आप इसे प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप ध्यान की इस गहरी समझ को अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकती है।