🔄

  • लघुसिद्धान्तकौमुदी श्रीमद्वरदराजार्यविरचित- Laghusiddhantakaumudi ShrimadVaradarajaryaVirchit
  • लघुसिद्धान्तकौमुदी श्रीमद्वरदराजार्यविरचित- Laghusiddhantakaumudi ShrimadVaradarajaryaVirchit
  • लघुसिद्धान्तकौमुदी श्रीमद्वरदराजार्यविरचित- Laghusiddhantakaumudi ShrimadVaradarajaryaVirchit
  • लघुसिद्धान्तकौमुदी श्रीमद्वरदराजार्यविरचित- Laghusiddhantakaumudi ShrimadVaradarajaryaVirchit

लघुसिद्धान्तकौमुदी श्रीमद्वरदराजार्यविरचित- Laghusiddhantakaumudi ShrimadVaradarajaryaVirchit

Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Sanskrit & Hindi
Total Pages: 128
Available in: Paperback
Regular price Rs. 225.00
Unit price per
Tax included.

Description

लघुसिद्धान्तकौमुदी


प्रस्तुत पुस्तक में ‘लघुसिद्धान्तकौमुदी' के तीन प्रकरणों-संज्ञा, सन्धि और समा के सूत्रों का विवेचन किया गया है। ये प्रकरण विषय की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के साथ अधिक छात्रोपयोगी हैं। विषय की रोचकता और भाषा की विदग्धता के लिए सन्धि एवं समास का व्याकरणशास्त्र में अपना विशिष्ट स्थान है। इसलिए ये प्रकरण महाविद्यालय-पाठ्यक्रम में भी रखे गए हैं। इन पर संक्षेप में विचार कर लेना अपेक्षित है।


'अष्टाध्यायी' में आठ अध्याय हैं तथा प्रत्येक अध्याय चार पादों में विभक्त है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में 3976 सूत्र हैं। इन्हीं सूत्रों को लेकर श्रीमद्भट्टोजिदीक्षित ने 'सिद्धान्तकौमुदी' की रचना की जिसमें संज्ञा, सन्धि तथा कारक एवं समास आदि प्रकरण हैं। श्रीमद्वरदाचार्य ने इनमें से प्रमुख 1272 सूत्रों का चयन कर 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का निर्माण किया जिसमें भी उपर्युक्त प्रकरण हैं। अष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय में शास्त्रीय व्यवहार के लिए अनेक संज्ञाओं की परिकल्पना है।

द्वितीय अध्याय के पूर्वार्द्ध में समास तथा उत्तरार्द्ध में कारक एवं समास प्रकरण सूत्र हैं। तृतीय में सन्, यङ्, नामधातु, लकारार्थ, तिङन्त तथा कृत्य एवं कृत् प्रत्ययों के विधान के लिए सूत्र हैं। चतुर्थ एवं पञ्चम अध्यायों में तद्धित प्रत्यय के सूत्र हैं। चतुर्थ अध्याय के आरम्भ में 77 सूत्र स्त्रीप्रत्यय प्रकरण के हैं। षष्ठ अध्याय में तिङ्न्त, सन्धि तथा स्वरप्रकरण से सम्बद्ध सूत्र हैं। सप्तम अध्याय अङ्गाधिकार (सुबन्त और तिङ्न्त) के रूप में विदित है तथा अष्टम अध्याय में द्वित्व विधान के अतिरिक्त स्वरवैदिकी प्रक्रिया, सन्धिप्रकरण तथा षत्व एवं णत्व-विधान के लिए सूत्र हैं।
डॉ॰ रामविलास चौधरी, पटना विश्वविद्यालय के बी० एन० कॉलेज के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष हैं।