Description
विरहस्तुतिमाल्यम्" (Viraha-stuti-mālyam) एक सुंदर और भावपूर्ण संस्कृत नाम है। चलिए इसे टुकड़ों में समझते हैं:
🔹 पद-विश्लेषण (Word Breakdown):
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विरह – वियोग, जुदाई, separation (विशेष रूप से प्रेम या भक्ति में)
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स्तुति – स्तुति, प्रार्थना, प्रशंसा (Praise or eulogy)
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माल्यम् – माला, हार (Garland)
👉 समग्र अर्थ:
"विरहस्तुतिमाल्यम्" का शाब्दिक अर्थ होता है –
"विरह की स्तुतियों की माला"
यानी वियोग के भाव से प्रेरित प्रार्थनाओं या स्तुतियों की एक श्रृंखला या संग्रह।
🔸 यह किस प्रकार का काव्य हो सकता है?
"विरहस्तुतिमाल्यम्" संभवतः एक भक्ति-काव्य या श्रृंगार-रस प्रधान कविता है, जिसमें:
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कोई प्रेमिका अपने प्रिय के वियोग में भगवान या प्रियतम की स्तुति करती है।
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यह माला (माल्यम्) की तरह काव्य-रत्नों की शृंखला हो सकती है — हर श्लोक या पद एक अलग भाव, एक अलग पीड़ा, एक अलग प्रार्थना।
🔹 संभावित संदर्भ:
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यह काव्य गोपियों के कृष्ण-विरह की तरह हो सकता है (जैसे "गीत गोविंद" में जयदेव ने लिखा है)।
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या किसी भक्त की ईश्वर से जुदाई की अनुभूति पर आधारित हो सकता है (जैसे "विट्ठल विरह", "राम विरह" आदि)।
अगर यह कोई वास्तविक ग्रंथ/रचना है जिसका आपको संदर्भ मिला है, तो क्या आप बता सकते हैं:
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लेखक कौन हैं?
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किस काल या परंपरा की रचना है?
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आपको यह कहां से मिला — किसी पाठ्यक्रम, ग्रंथ सूची या इंटरनेट से?