• विरहस्तुतिमाल्यम्- Virahastutimalyam
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विरहस्तुतिमाल्यम्- Virahastutimalyam

Author(s): Dr. Sudhikant Bharadwaj Kalpah
Publisher: Bhardwaj Publishing House
Language: Sanskrit & Hindi & English
Total Pages: 144
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 250.00
Unit price per

Description

विरहस्तुतिमाल्यम्" (Viraha-stuti-mālyam) एक सुंदर और भावपूर्ण संस्कृत नाम है। चलिए इसे टुकड़ों में समझते हैं:


🔹 पद-विश्लेषण (Word Breakdown):

  • विरह – वियोग, जुदाई, separation (विशेष रूप से प्रेम या भक्ति में)

  • स्तुति – स्तुति, प्रार्थना, प्रशंसा (Praise or eulogy)

  • माल्यम् – माला, हार (Garland)


👉 समग्र अर्थ:

"विरहस्तुतिमाल्यम्" का शाब्दिक अर्थ होता है –
"विरह की स्तुतियों की माला"
यानी वियोग के भाव से प्रेरित प्रार्थनाओं या स्तुतियों की एक श्रृंखला या संग्रह।


🔸 यह किस प्रकार का काव्य हो सकता है?

"विरहस्तुतिमाल्यम्" संभवतः एक भक्ति-काव्य या श्रृंगार-रस प्रधान कविता है, जिसमें:

  • कोई प्रेमिका अपने प्रिय के वियोग में भगवान या प्रियतम की स्तुति करती है।

  • यह माला (माल्यम्) की तरह काव्य-रत्नों की शृंखला हो सकती है — हर श्लोक या पद एक अलग भाव, एक अलग पीड़ा, एक अलग प्रार्थना।


🔹 संभावित संदर्भ:

  • यह काव्य गोपियों के कृष्ण-विरह की तरह हो सकता है (जैसे "गीत गोविंद" में जयदेव ने लिखा है)।

  • या किसी भक्त की ईश्वर से जुदाई की अनुभूति पर आधारित हो सकता है (जैसे "विट्ठल विरह", "राम विरह" आदि)।


अगर यह कोई वास्तविक ग्रंथ/रचना है जिसका आपको संदर्भ मिला है, तो क्या आप बता सकते हैं:

  • लेखक कौन हैं?

  • किस काल या परंपरा की रचना है?

  • आपको यह कहां से मिला — किसी पाठ्यक्रम, ग्रंथ सूची या इंटरनेट से?