ॐ परम पद (Om Param Pad) का अर्थ है "ॐ, सर्वोच्च स्थान" या "ॐ, परम पद"। यह शब्द भारतीय तात्त्विक और आध्यात्मिक परंपराओं में एक गहरे और दिव्य अर्थ में उपयोग होता है। आइए, इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
ॐ एक अत्यंत पवित्र और शाश्वत मंत्र है जो हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, और अन्य भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यह प्रतीक ब्रह्मा, विष्णु, शिव, और देवी की दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है, और इसे "ब्रह्म" या "सर्वव्यापी चेतना" का रूप माना जाता है।
ॐ का उच्चारण शांति और आध्यात्मिक जागृति की ओर मार्गदर्शन करता है, इसे ध्यान और मंत्र जाप में विशेष महत्व दिया जाता है।
परम का अर्थ है "सर्वोच्च", "अत्युत्तम", या "महानतम"।
पद का अर्थ है "स्थान", "दिशा", "आधिकारिक स्थिति" या "आसन"।
परम पद का एक सामान्य अर्थ है "सर्वोच्च स्थान", जो कि भगवान या ब्रह्म के सर्वोच्च अस्तित्व और चेतना को दर्शाता है।
ॐ परम पद का संपूर्ण अर्थ है "ॐ, जो सर्वोच्च स्थान का प्रतीक है", अर्थात वह अद्वितीय और परम अस्तित्व जिसे हम ब्रह्मा या सर्वोच्च शक्ति के रूप में मानते हैं।
यह शब्द योग और वेदांत के गहरे तत्वज्ञान से जुड़ा हुआ है। यह परम सत्य या परम ब्रह्म की प्राप्ति की ओर संकेत करता है।
परम पद वह स्थिति है जो भगवान के साथ पूर्ण मिलन, आत्म-साक्षात्कार, और निर्वाण की अवस्था को दर्शाता है। जब एक व्यक्ति आत्मज्ञान की प्राप्ति करता है, तो वह इस परम स्थान या स्थिति में पहुँचता है, जो सुख, शांति और अनंत आनंद का स्रोत होता है।
ध्यान की साधना में, ॐ और परम पद के मंत्रों का जाप करना, साधक को भगवान के साथ जुड़ने और उस परम स्थिति तक पहुँचने का मार्ग दिखाता है।
"ॐ परम पद" एक प्रकार से उस स्थिति को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न और साधना की ओर संकेत करता है, जहां मनुष्य अपने वास्तविक स्वभाव (आत्मा) को पहचानता है और ब्रह्म से एकाकार होता है।
ॐ परम पद शब्द विशेष रूप से वेदों और उपनिषदों में मिलता है। इसे आत्मा के परम स्वरूप और ब्रह्म के साथ एकत्व की ओर इंगीत किया जाता है। उपनिषदों में यह माना जाता है कि ॐ के उच्चारण से ब्रह्म की उपासना की जाती है, और परम पद को प्राप्त करने की दिशा मिलती है।
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