
भावरत्नकोष" (Bhavaratnakosha) एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है "भावों का संग्रह" या "भावों का कोष"। यह शब्द दो भागों से मिलकर बना है:
भाव (Bhava) – इसका अर्थ होता है "भावना", "भावनाएँ", "अवस्था" या "मनोवृत्ति"। इसे सामान्यत: किसी व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक अनुभव के रूप में समझा जा सकता है।
रत्नकोष (Ratnakosha) – "रत्न" का अर्थ होता है "रत्न" या "मूल्यवान वस्तु", और "कोष" का अर्थ होता है "कोष", "संग्रह" या "संग्रहालय"।
इसलिए, भावरत्नकोष का शाब्दिक अर्थ है "भावनाओं का संग्रह", या एक ऐसा संग्रह जो किसी व्यक्ति या समाज के भावनाओं, संवेदनाओं और मानसिक अवस्थाओं से संबंधित हो।
साहित्य और कविता में, भावरत्नकोष का उपयोग तब किया जाता है जब हम किसी व्यक्ति या रचनाकार के गहरे भावनात्मक या मानसिक विचारों और संवेदनाओं को समझने की कोशिश करते हैं। यह एक काव्यात्मक या दार्शनिक शब्द हो सकता है, जो किसी विशेष उद्देश्य से भावनाओं और विचारों का संकलन करता है।
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