• Boddh Dharm ke Updesh
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Boddh Dharm ke Updesh

Author(s): Bhikshu Dharam Rakshit
Publisher: Gautam Book Centre
Language: Hindi
Total Pages: 99
Available in: Paperback
Regular price Rs. 125.00
Unit price per

Description

बुद्ध धर्म के उपदेशों में जीवन के उद्देश्य, दुखों का कारण, और उनके निराकरण के उपायों पर बल दिया गया है। इन्हें "बुद्ध के चार आर्य सत्य" (चार प्रमुख सत्य) के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ये उपदेश जीवन के गहरे सत्य और साधना के मार्ग को स्पष्ट करते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपदेश दिए गए हैं:

1. दुःख (दुःख का अस्तित्व)

बुद्ध ने यह कहा कि जीवन में दुःख है। यह दुःख जन्म, बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक कि प्रेम, सम्बन्ध, और सुख भी अस्थायी होते हैं, जिससे दुःख का अनुभव होता है।

2. दुःख का कारण (दुःख का कारण)

बुद्ध ने बताया कि दुःख का मुख्य कारण तृष्णा (इच्छा) और हमारी लालसाएँ हैं। हम जो चीज़ें चाहते हैं, उनका न मिलना या उनके खो जाने से दुःख उत्पन्न होता है।

3. दुःख का निराकरण (दुःख का नाश)

बुद्ध ने यह भी बताया कि दुःख का नाश संभव है, और यह तृष्णा और इच्छाओं के त्याग से संभव है। जब हम अपने भीतर के निरंतर इच्छाओं को नियंत्रित करना सीखते हैं, तब हम दुःख से मुक्ति पा सकते हैं।

4. आठfold मार्ग (आठ अंशीय मार्ग)

दुःख का नाश करने के लिए बुद्ध ने आठfold मार्ग को अपनाने की सलाह दी, जिसे "आठfold मार्ग" या "अष्टांगिक मार्ग" कहा जाता है। ये हैं:

  • सही दृष्टि (सत्य दृष्टि): जीवन के सत्य को समझना, जैसे चार आर्य सत्य।
  • सही संकल्प (सत्य संकल्प): अच्छे और नेक कार्यों का निश्चय करना।
  • सही वचन (सत्य वचन): झूठ बोलने, गाली-गलौच करने से बचना।
  • सही क्रिया (सत्य क्रिया): अच्छे कार्य करना, जैसे चोरी न करना।
  • सही आजीविका (सत्य आजीविका): सही और नैतिक आजीविका अपनाना।
  • सही प्रयास (सत्य प्रयास): आत्म-निर्माण के लिए प्रयास करना।
  • सही स्मृति (सत्य स्मृति): ध्यान और मानसिक स्थितियों पर ध्यान देना।
  • सही समाधि (सत्य समाधि): मानसिक शांति प्राप्त करना और ध्यान की गहरी अवस्था में पहुँचना।

5. मध्यम मार्ग (मध्यम मार्ग)

बुद्ध ने यह भी सिखाया कि जीवन में अत्यधिक भोग या कठोर तपस्या दोनों ही नुकसानदायक होते हैं। उन्हें एक "मध्यम मार्ग" की आवश्यकता थी, जो न तो अत्यधिक सुखों का पालन करता हो और न ही अत्यधिक कष्ट सहन करता हो। यह मार्ग मानसिक शांति और संतुलन की ओर ले जाता है।

6. वर्तमान में जीना

बुद्ध ने यह उपदेश भी दिया कि हमें हमेशा वर्तमान में जीना चाहिए। अतीत को पछताने या भविष्य के लिए चिंता करने से हम अपने मानसिक शांति को खो देते हैं। इसलिए, हमें वर्तमान क्षण में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

7. प्रत्येक वस्तु का अस्थिरता (अनित्य)

बुद्ध के अनुसार, हर चीज़ अस्थिर और परिवर्तनशील है। किसी भी वस्तु या स्थिति से अत्यधिक जुड़ाव करना या लगाव रखना दुःख का कारण बनता है। हमें यह समझना चाहिए कि सब कुछ अस्थायी है।

8. करुणा और दया (मेट्टा और करुणा)

बुद्ध ने करुणा और दया के महत्व को भी बताया। दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा हमें मानसिक शांति देती है और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देती है।

इन उपदेशों के माध्यम से बुद्ध ने लोगों को जीवन में संतुलन, शांति, और सुखी जीवन जीने का मार्ग बताया। बुद्ध धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और संसार के कष्टों से मुक्ति पाना है।