• Dhammapad- धम्मपद
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Dhammapad- धम्मपद

Author(s): Bhikshu Dharam Rakshit
Publisher: Siddharth Books
Language: Hindi
Total Pages: 208
Available in: Paperback
Regular price Rs. 300.00
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Description

धम्मपद (Dhammapada) बौद्ध धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो तथागत गौतम बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया था और बौद्ध धर्म के "ति‍त्तिबुद्धा" (Theravada) संप्रदाय में इसे विशेष स्थान प्राप्त है।

धम्मपद का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:

  • धम्म (Dhamma) का अर्थ है 'धर्म' या 'सत्य',
  • पद (Pada) का अर्थ है 'काव्य' या 'क़दम'।

इस प्रकार, "धम्मपद" का अर्थ है 'धर्म के शब्द' या 'धर्म के उपदेशों के शेर'। यह ग्रंथ बौद्धों के आचार-विचार और जीवनशैली को दिशा देने वाले मंत्रों, श्लोकों, और शिक्षाओं का संग्रह है।

धम्मपद में कुल 423 श्लोक होते हैं, जिन्हें 26 अध्यायों में बांटा गया है। इन श्लोकों में बुद्ध की शिक्षाओं को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ आत्मनियंत्रण, सच्चे सुख की प्राप्ति, अहिंसा, और संसार से जुड़ी असत्यताओं को समझने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।

प्रमुख विषय:

  1. कर्म और परिणाम: कर्म का सिद्धांत प्रमुख रूप से इस ग्रंथ में चर्चा का विषय है। इसके अनुसार अच्छे और बुरे कर्मों के परिणामों से बचने के लिए सही आचरण अपनाना चाहिए।
  2. अहिंसा: बुद्ध के अनुसार, जीवन में अहिंसा का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है।
  3. समाधि और ध्यान: धम्मपद में आत्म-संयम, मानसिक शांति, और ध्यान के महत्व पर बल दिया गया है।
  4. प्रकृति और संसार का अस्थायित्व: यह हमें यह समझाता है कि दुनिया अस्थायी है और किसी भी चीज़ पर अत्यधिक लगाव नहीं करना चाहिए।

धम्मपद न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जो आत्मज्ञान और जीवन में शांति की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।