धम्मपद (Dhammapada) बौद्ध धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो तथागत गौतम बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया था और बौद्ध धर्म के "तित्तिबुद्धा" (Theravada) संप्रदाय में इसे विशेष स्थान प्राप्त है।
धम्मपद का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:
इस प्रकार, "धम्मपद" का अर्थ है 'धर्म के शब्द' या 'धर्म के उपदेशों के शेर'। यह ग्रंथ बौद्धों के आचार-विचार और जीवनशैली को दिशा देने वाले मंत्रों, श्लोकों, और शिक्षाओं का संग्रह है।
धम्मपद में कुल 423 श्लोक होते हैं, जिन्हें 26 अध्यायों में बांटा गया है। इन श्लोकों में बुद्ध की शिक्षाओं को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ आत्मनियंत्रण, सच्चे सुख की प्राप्ति, अहिंसा, और संसार से जुड़ी असत्यताओं को समझने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
धम्मपद न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जो आत्मज्ञान और जीवन में शांति की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
Your cart is currently empty.