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ग्रह और भाव बल
इस पुस्तक के प्रकाशन का मुख्य ध्येय यही रहा है कि ज्योतिष के विद्यार्थी ग्रह, और भाव बल का ठीक-ठीक हिसाब लगा सकें जो शुद्ध ढंग से जन्मकुंडली की व्याख्या करने में सर्वथा आवश्यक है । लेखक के अनुसार यह माना हुआ सत्य है कि शुद्ध गणित के बिना ठीक भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन कार्य है । सफल भविष्यवाणी के लिये गणितीय ज्योतिष अपने आप में एक सहायक के रूप में कुछ निश्चित अवस्था तक महत्वपूर्ण है परन्तु इसमें अधिक लगना हानिकारक है क्योंकि वह व्यक्ति की अंतर्ज्ञान शक्ति को, जिसका समुचित विकास अत्यंत आवश्यक है, नष्ट करता है । इसी कारण पुस्तक में ज्योतिषीय गणित के वही सिद्धान्त दिये गए हैं जो व्यक्ति को विश्वास के साथ भविष्य कथन में वास्तव में सहायक होंगे ।
हिन्दी अनुवाद को अधिक उपयोगी बनाने के उद्देश्य से मूल ग्रंथाकार की पुस्तक''A Manual of Hindu Astrology'' का उल्लेख जहाँ आया है उसका सार इस पुस्तक में यथास्थान (उदाहरणार्थ भाव