Description
पंतजलि योगसूत्र भारतीय योग दर्शन का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे महर्षि पंतजलि ने लिखा था। यह ग्रंथ योग के दर्शन और अभ्यास के सिद्धांतों का संकलन है। इसमें 195 सूत्र होते हैं, जिन्हें आठ भागों में विभाजित किया गया है। इन सूत्रों के माध्यम से योग के उद्देश्य, उसका मार्ग, साधना, और विभिन्न अवस्थाओं को समझाया गया है।
योगसूत्रों का मुख्य उद्देश्य मन को शांत करना और आत्मज्ञान प्राप्त करना है। पंतजलि ने योग को आस्तिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया और बताया कि योग द्वारा आत्मा और परमात्मा के बीच के बंधन को समाप्त किया जा सकता है।
पंतजलि के योगसूत्रों के आठ अंग (अंग = अंग) होते हैं, जिन्हें 'अष्टांग योग' कहा जाता है:
- यम (Yama) - सामाजिक नियम और नैतिक आचार
- नियम (Niyama) - व्यक्तिगत अनुशासन और आचार
- आसन (Asana) - शारीरिक मुद्राएँ और स्थिति
- प्राणायाम (Pranayama) - श्वास नियंत्रण
- प्रत्याहार (Pratyahara) - इंद्रियों का वशीकरण
- धारणा (Dharana) - ध्यान की तैयारी, मानसिक ध्यान केंद्रित करना
- ध्यान (Dhyana) - निरंतर ध्यान या मेडिटेशन
- समाधि (Samadhi) - ध्यान की अंतिम अवस्था, आत्मा का परमात्मा में विलय
इन आठ अंगों के माध्यम से व्यक्ति अपने मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकारों को नियंत्रित करके आत्मबोध प्राप्त कर सकता है।