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Shrimad Bhagwad Gita (Sadhak Sanjivani) (Parishisht Sahit)(Hindi Tika) (Sanskrit & Hindi Edition) - Motilal Banarsidass #author

श्रीमद्भगवद्गीता- Shrimad Bhagwad Gita (Sadhak Sanjivani) (Parishisht Sahit)(Hindi Tika)

Publisher: Gita Press Gorakhpur
Language: Hindi & Sanskrit
Total Pages: 1296
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 550.00
Unit price per
Tax included.

Description

Shrimad Bhagwad Gita (Sadhak Sanjivani) (Parishisht Sahit) (Hindi Tika)" एक प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद को प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत आता है और इसमें कुल 18 अध्यायों में 700 श्लोक होते हैं। इस ग्रंथ का संदेश जीवन के उद्देश्य, धर्म, कर्म, योग, भक्ति, और मोक्ष के विषय में है। "Sadhak Sanjivani" (साधक संजीवनी) एक विशेष संस्करण है, जिसमें तात्पर्य (स्पष्टीकरण) और टिप्पणियाँ दी गई हैं, जिससे साधक (अभ्यास करने वाले) को गीता के गूढ़ अर्थों को समझने में मदद मिलती है।

साधक संजीवनी (Sadhak Sanjivani) का महत्त्व:

यह संस्करण विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए गीता के श्लोकों का गहरे अध्ययन और चिंतन करना चाहते हैं। इसमें श्लोकों का हिंदी में विस्तार से अर्थ दिया गया है ताकि सरल भाषा में समझा जा सके। यह ग्रंथ साधकों को उनके जीवन के उद्देश्य, कर्मों के फल, और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने में मदद करता है।

मुख्य बिंदु:

  1. गीता का संवाद: गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के संकटों और कर्मों के बारे में उपदेश दिया। यह संवाद कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के विषय में है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया और जीवन के सही दृष्टिकोण को समझाया।

  2. कर्म और धर्म: गीता में श्री कृष्ण ने कर्म के सिद्धांत की व्याख्या की है, जिसमें बताया गया है कि कर्म किए बिना कोई भी व्यक्ति जीवन का उद्देश्य प्राप्त नहीं कर सकता। धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए, परंतु परिणामों से उदासीन रहना चाहिए।

  3. योग: गीता में विभिन्न प्रकार के योगों की व्याख्या की गई है, जैसे कि:

    • भक्ति योग: भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के माध्यम से आत्मा का उद्धार।
    • ज्ञान योग: सत्य और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए ज्ञान का अभ्यास।
    • कर्म योग: बिना किसी स्वार्थ के निष्काम कर्म करना।
    • राज योग: साधना और ध्यान के माध्यम से आत्मा के साथ एकता प्राप्त करना।
  4. मोक्ष का मार्ग: गीता में मोक्ष (आत्मा का परम शांति प्राप्ति) को प्राप्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने विभिन्न मार्गों की व्याख्या की है। इसके माध्यम से व्यक्ति संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है।

  5. Parishisht (परिशिष्ट): गीता के इस संस्करण में "परिशिष्ट" के रूप में कुछ अतिरिक्त अध्याय या टिप्पणियाँ दी गई हैं, जो गीता के संदेश को और स्पष्ट करती हैं और साधकों को जीवन के कठिनाईयों से निपटने के उपायों के बारे में मार्गदर्शन देती हैं।

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