• Tarkasangraha: Nyaybodhini Sahit - तर्कसंग्रह: न्यायबोधिनीसहित - Motilal Banarsidass #author
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Tarkasangraha: Nyaybodhini Sahit- तर्कसंग्रह: न्यायबोधिनीसहित

Author(s): Sandhya Rathore
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Sanskrit & Hindi
Total Pages: 265
Available in: Paperback
Regular price Rs. 345.00
Unit price per

Description

तर्कसंग्रह: न्यायबोधिनीसहित" एक प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथ है, जो तर्कशास्त्र (logic) और न्यायशास्त्र (jurisprudence) पर आधारित है। यह ग्रंथ बरह्मचारी गंगाधर द्वारा लिखा गया है और इसमें तर्कशास्त्र और न्याय के सिद्धांतों का विस्तृत विवेचन किया गया है।

तर्कसंग्रह का मुख्य उद्देश्य तर्क और न्याय के सिद्धांतों को सरल और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना है। इसमें संस्कृत शास्त्रों में निहित न्याय और तर्क की तकनीकों को समझाने की कोशिश की गई है, जो उस समय के सामाजिक और दार्शनिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण थे।

न्यायबोधिनी इस ग्रंथ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इस ग्रंथ के साथ दी जाती है। यह एक प्रकार की विवरणात्मक टीका (commentary) है, जो तर्कसंग्रह के विचारों और सिद्धांतों को समझाने और स्पष्ट करने में मदद करती है।

मुख्य विषय:

  1. तर्कशास्त्र और न्याय: यह ग्रंथ तर्कशास्त्र और न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का विस्तृत विवेचन करता है, जो सामाजिक जीवन और न्यायिक निर्णयों में मददगार होते हैं।

  2. प्रमाण, प्रमाणिकता, और तर्क: इसमें विभिन्न प्रकार के प्रमाणों (जैसे - प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमालंकार आदि) और उनके महत्व पर भी चर्चा की जाती है।

  3. न्यायशास्त्र: इसमें न्याय के सिद्धांतों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को समझाने के लिए गहरे विचार प्रस्तुत किए जाते हैं।

  4. विवेचनात्मक शैली: इस ग्रंथ की शैली एक शिक्षक की तरह है, जो प्रश्नों के उत्तर देने के साथ-साथ न्याय और तर्क के सिद्धांतों की जटिलताओं को सरल रूप में प्रस्तुत करता है।

महत्व:

तर्कसंग्रह: न्यायबोधिनीसहित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो न केवल तर्क और न्याय के बुनियादी सिद्धांतों को समझाने में सहायक है, बल्कि यह भारतीय दार्शनिक परंपरा और विधि के इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक अद्वितीय संदर्भ ग्रंथ के रूप में कार्य करता है।