• The Life Of Swami Vivekananda - विवेकानन्द की जीवनी - Motilal Banarsidass #author
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The Life Of Swami Vivekananda- विवेकानन्द की जीवनी

Author(s): Dr. Raghuraj Gupta
Publisher: Advaita Ashrama
Language: English
Total Pages: 255
Available in: Paperback
Regular price Rs. 150.00
Unit price per

Description

स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekananda) भारतीय संत, योगी और समाज सुधारक थे, जो अपने विचारों और योगदानों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म १२ जनवरी १८६३ को हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे भारतीय समाज के मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित थे और उन्होंने भारतीय संस्कृति को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया।

प्रारंभिक जीवन:

स्वामी विवेकानन्द का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, एक प्रसिद्ध वकील थे, और माँ, बीलक्ष्मी देवी, एक धार्मिक और अध्यात्मिक महिला थीं। उनका परिवार काफी अच्छे सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से जुड़ा हुआ था। विवेकानन्द के बचपन में ही उनकी मां ने उन्हें भारतीय धार्मिक परंपराओं और संस्कृति के बारे में सिखाया।

नरेंद्रनाथ ने प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के प्राइवेट स्कूल और बाद में प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की। वे बचपन से ही तेज-तर्रार और जिज्ञासु थे, और उनका मन धार्मिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक विषयों में काफी रमता था।

रामकृष्ण परमहंस से मिलन:

स्वामी विवेकानन्द की जीवन की दिशा बदल गई जब उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात की। रामकृष्ण परमहंस एक महान संत और योगी थे, जिन्होंने विवेकानन्द को भारतीय वेदांत और आत्म-ज्ञान के विषय में गहरे insights दिए। स्वामी विवेकानन्द ने रामकृष्ण परमहंस से सन्यास लिया और उनके शिष्य बन गए। यह मिलन विवेकानन्द के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

चिकित्सक और समाज सुधारक:

स्वामी विवेकानन्द ने हमेशा भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। वे जातिवाद, पर्दा प्रथा और महिलाओं की स्थिति में सुधार के पक्षधर थे। उनका मानना था कि समाज में सच्चे सुधार तभी संभव हैं, जब व्यक्ति का आत्म-विश्वास और आत्म-ज्ञान जागृत हो।

1893 का शिकागो विश्व धर्म महासभा:

स्वामी विवेकानन्द का नाम दुनियाभर में तब प्रसिद्ध हुआ जब उन्होंने १८९३ में शिकागो विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहाँ उन्होंने अपने प्रसिद्ध भाषण में कहा था:

"आपका भारत वह भूमि है जहाँ हर एक धर्म, हर एक विश्वास को सम्मान दिया गया है।"

उनके इस भाषण ने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई से परिचित कराया। वे केवल भारतीय धर्म के प्रवक्ता नहीं थे, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा है।

स्वामी विवेकानन्द के विचार:

स्वामी विवेकानन्द के विचार बहुत गहरे और प्रेरणादायक थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को आत्मनिर्भर बनने, अपनी शक्ति और क्षमता को पहचानने और आत्म-संयम का पालन करने के लिए प्रेरित किया। उनके कुछ प्रमुख विचार थे:

  1. "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए!"
  2. "आपका विश्वास आपके जीवन को आकार देता है।"
  3. "जो भी तुम कर सको, वह करो; क्योंकि जीवन एक अवसर है, एक प्रयोग है।"
  4. "भारत की ताकत उसकी आत्मा में है, और हम तभी मजबूत हो सकते हैं जब हम अपनी आत्मा से जुड़े रहेंगे।"

मृत्यु और विरासत:

स्वामी विवेकानन्द का निधन ३९ वर्ष की आयु में ३९ वर्ष की आयु में ३९ वर्ष की आयु में ३९ वर्ष की आयु में हुआ। उनका जीवन छोटा था, लेकिन उन्होंने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उनका योगदान भारतीय समाज के सुधार में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारतीय योग और वेदांत के महत्व को पश्चिमी दुनिया में फैलाया।

स्वामी विवेकानन्द का योगदान आज भी भारतीय समाज और पूरी दुनिया में महसूस किया जाता है। उनकी शिक्षाएं और दर्शन आज भी लोगों को आत्मज्ञान, सेवा और समाज सुधार के प्रति प्रेरित करते हैं।