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इस पुस्तक में लेखक ने जीवन की मुख्य घटनाएं जैसे की मुकदमेबाजी, शिक्षा, धन एवम् व्यापार, स्वास्थ्य, यात्रा, संतान, मुहूर्त एवम् उपायों के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया गया है पाठकों को ज्ञात हो कि ज्योतिष में यह अपने प्रकार की एकमात्र उपलब्ध पुस्तक है जीवन की सब घटनाओं के बारे में इस पुस्तक में लिखे क्रमबद्ध नियमों से सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं परंपरागत ज्योतिष में हजारों नियमों एवम् योगों आदि से उत्पन्न असंमजस इस पुस्तक को पढ़ने के बाद समाप्त हो जायेगा इसलिए यह पुस्तक को ज्योतिष से जुड़े सभी सवालों के जवाब के लिए अत्यंत आवश्यक है।
लेखक के विषय में
उमंग तनेजा सन् 1998 से फलित ज्योतिष की शिक्षा देश विदेश में प्रदान कर रहे हैं। उमंग तनेजा आज यह कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि उनके विद्यार्थी विश्वभर में नाड़ी ज्योतिष का अभ्यास कर रह हैं। आज ज्योतिष से संबंधित मुख्य वेबसाईट्स इनके छात्रों की हैं। उमंग तनेजा द्वारा लिखी गई पुस्तकें विश्वभर में उपलब्ध हैं।
प्रस्तावना
यह पुस्तक इस प्राचीन विज्ञान में मेरा प्रथम प्रयासहै वर्षों से ज्योर्तिविदों के निरन्तर खोज प्रयासों के कारण ज्योतिष में समय-समय पर परिवर्तन होता रहा है ज्योतिष के बारे में ज्योतिषविदों के भिन्न भिन्न विचार हैं परन्तु कोई भी एक भविष्यवक्ता विद्यार्थियों और पाठकों के मस्तिष्क के संशयों और त्रुटियों के बारे में एक दूसरे से सहमत नहीं है मेरे विचार में ज्योतिष एक विज्ञान था, विज्ञान है और विज्ञान रहेगा इसलिए इसका अध्ययन भी वैज्ञानिक ढंग से होना चाहिए नवीनतम खोज इसके विज्ञान होने की पुष्टि करती है।
ज्योतिष के दो मुख्य पहलू है-किसी घटना की भविष्यवाणी और उसके घटित होने का समय जातक के जीवन की सभी घटनायें उसकी जन्मकुण्डली में निहित होती हैं उन्हें जानने के लिए ज्योतिष के सही प्रयोग की आवश्यकता है उपयुक्त समय, दिनांक और जन्मस्थान के ज्ञान द्वारा सही भविष्यवाणी की जा सकती मैं ज्योतिषियों द्वारा अपनाई गई पद्धति या प्रणाली के विवाद में नही पडना चाहता। यह सार्वजनिक सत्य है कि राशि-वृत का विभिन्न राशियों और नक्षत्रों के लिए यथार्थ विभाजन नहीं है। यह केवल एक पद्धति है और सौरमंडल के एक ग्रह पृथ्वी के निवासी जातक पर ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव के अध्ययन की एक प्रणाली मैंने अपनी इस पुस्तक में नाड़ी ज्योतिष के नियमों का अनुसरण किया है। नाडी ज्योतिष के नियमानुसार राशि वृत 12 राशियों में बराबर विभाजित है और प्रत्येक नक्षत्र का 27 में उपविभाजन है। ये नक्षत्र आगे भिन्न-भिन्न उपस्वामियों में विभाजित हैं । इस पद्धति के अनुसार उपस्वामी और नक्षत्र