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विषमपरिणयम्- Vishamparinayam of Gajendra Shankar

Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan, Janakpuri
Language: Sanskrit
Total Pages: 82
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 300.00
Unit price per
Tax included.

Description

सम्पादकीय

१९७७-७९ के वर्षों में मैंने एम्. फिल्. के लघु-संशोधन हेतु सूरत के प्रसिद्ध नाट्यकार श्री गजेन्द्रशंकर लालशंकर पंड्या की संस्कृत रचनाओं का अध्ययन किया था। अब बत्तीस वर्षों के बाद मेरे गुरुवर्य डॉ. राजेन्द्र नाणावटी के अनुरोध से एवं राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान के कुलपति प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी जी की संगति से श्री पंड्या का एक करुणान्त नाटक विषमपरिणयम् सम्पादित करके यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ। इसका प्रथम प्रकाशन श्री पंड्या ने स्वयं १९३२ में किया था । यहाँ उसकी दूसरी सम्पादित आवृत्ति प्रकाशित हो रही है। मेरे पूर्व अध्ययन के समय नाट्यकार श्री पंड्या जीवित थे, अध्ययन पूर्ण होने से पूर्व वे चल बसे। यह सम्पादन उनको समर्पित है।
इस कार्य में प्रो. नाणावटी ने मेरी पर्याप्त सहायता की है। प्रो. राधावल्लभजी ने भी इस सम्पादन का दायित्व मुझे सौंपने की सम्मति दी। उन दोनों के प्रति मैं अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।