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  • सत्रहवीं शताब्दी के संस्कृत महाकाव्य - Satravi Shatabdi Ke Sanskrit Mahakavya - Motilal Banarsidass author
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सत्रहवीं शताब्दी के संस्कृत महाकाव्य- Satravi Shatabdi Ke Sanskrit Mahakavya

Sanskrit Epics of the Seventeenth Century
Publisher: Nag Publishers
Language: Sanskrit, Hindi
Total Pages: 460
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 600.00 Sale price Rs. 750.00
Unit price per
Tax included.

Description

सत्रहवीं शताब्दी का समय सांस्कृतिक पुनर्जागरण का समय था। इस समय देश में पुनर्जागृति के अनुरूप विपुल साहित्य का निर्माण विभिन्न विधाओं के अन्तर्गत हुआ। संस्कृत में साहित्य की उल्लेखनीय समृद्धि और प्रगति हुयी। सर्वोच्च काव्यविधा के अन्तर्गत महाकाव्यों का भी अनल्प लेखन हुआ। इस पुस्तक में बारह महाकवियों और उनके सोलह महाकाव्यों को विषय बनाया गया है।

सत्रहवीं शताब्दी के कतिपय कवियों ने अपने आश्रयदाता के जीवनचरित को अपने महाकाव्य का मुख्य विषय बनाया है और कतिपय कवियों ने प्राचीन तथा पौराणिक विषयवस्तु का उपस्थापन किया है। जैनकवि मेघविजय ने तीर्थङ्करों और स्वयुगीन जैनाचार्यों को मुख्य विषय बनाया है।

अधिकांश महाकाव्यों में भक्तिभावना और अवतारवाद की प्रतिष्ठा हुयी है। धर्म और उपासना के विविध अंगों का निरूपण इन महाकाव्यों में हुआ है। सामाजिक प्रवृत्तियों का भी सम्यक् चित्रण हुआ है, जिसके अन्तर्गत तत्कालीन राजनीति का कहीं तो यथार्थ चित्रण हुआ है और कहीं उसका उदात्तीकरण प्रस्तुत किया गया है। सत्रहवीं शताब्दी के महाकाव्यों में मानवीय जीवनका चित्रण कविता की सभ्यता और देशकाल की भव्यता में विराट् फलक पर सर्वाङ्गीणता के साथ हुआ है।

यह पुस्तक सत्रहवीं शताब्दी के प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों का एकत्र अनुशीलन है।