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  • हिन्दी साहित्य का इतिहास by आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
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हिन्दी साहित्य का इतिहास

Publisher: Vani Prakashan
Language: Hindi
Total Pages: 571
Available in: Paperback
Regular price Rs. 390.00
Unit price per
Tax included.

Description

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (4 अक्टूबर, 1882-1942) बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के प्रमुख `साहित्यकार थे। उनका जन्म बस्ती, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों में प्रमुख है हिन्दी साहित्य का इतिहास, जिसका हिन्दी पाठ्यक्रम को निर्धारित करने में प्रमुख स्थान है। शुक्ल जी हिन्दी साहित्य के कीर्ति स्तम्भ हैं। हिन्दी में वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ। हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में शुक्ल जी का स्थान बहुत ऊँचा है। वे श्रेष्ठ और मौलिक निबन्धकार थे। उन्होंने अपने दृष्टिकोण से भाव, विभाव, रस आदि की पुनर्व्याख्या की, साथ ही साथ विभिन्न भावों की व्याख्या में उनका पांडित्य, मौलिकता और सूक्ष्म पर्यवेक्षण पग-पग पर दिखाई देता है।

शुक्ल जी की कृतियाँ :

मौलिक कृतियाँ तीन प्रकार की हैं :

आलोचनात्मक ग्रन्थ : सूर, तुलसी, जायसी पर की गयी आलोचनाएँ, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रस मीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएँ हैं।

निबन्धात्मक ग्रन्थ : उनके निबन्ध चिंतामणि नामक ग्रन्थ के दो भागों में संगृहीत हैं। चिंतामणि के निबन्धों के अतिरिक्त शुक्लजी ने कुछ अन्य निबन्ध भी लिखे हैं, जिनमें मित्रता, अध्ययन आदि निबन्ध सामान्य विषयों पर लिखे गये निबन्ध हैं। मित्रता निबन्ध जीवनोपयोगी विषय पर लिखा गया उच्चकोटि का निबन्ध है जिसमें शुक्लजी की लेखन शैलीगत विशेषताएँ झलकती हैं।

ऐतिहासिक ग्रन्थ : हिन्दी साहित्य का इतिहास उनका अनूठा ऐतिहासिक ग्रन्थ है ।

अनूदित कृतियाँ : शुक्ल जी की अनूदित कृतियाँ कई हैं। 'शशांक' उनका बांग्ला से अनुवादित उपन्यास है। इसके अतिरिक्त उन्होंने अंग्रेज़ी से विश्वप्रपंच, आदर्श जीवन, मेगस्थनीज का भारतवर्षीय वर्णन, कल्पना का आनन्द आदि रचनाओं का अनुवाद किया।

सम्पादित कृतियाँ : सम्पादित ग्रन्थों में हिन्दी शब्दसागर, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भ्रमरगीत सार, सूर, तुलसी, जायसी ग्रन्थावली उल्लेखनीय हैं।