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महागुहा में प्रवेश- Mahaguha men Pravesh

महागुहा में प्रवेश- Mahaguha men Pravesh

Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan
Language: Hindi
Total Pages: 178
Available in: Paperback
Regular price Rs. 225.00
Unit price per
Tax included.

Description

प्रकाशकीय

पूज्य विनोबाजी की प्रस्तुत कृति 'महागुहा में प्रवेश' के विषय में कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाने जैसी बात होगी। बाबा के विचार - सागर में से ध्यान, उपासना, कर्मयोग, चित्त-शुद्धि, सेवा, समर्पण, साधना, समाधि, अहिंसा, अपरिग्रह, योग, प्राणायाम आदि विषयों की चिंतन-मणियाँ बीन कर उषाबहन ने संपादन-संकलन कर के यह जो कृति प्रस्तुत की है, वह अपने- आप में अद्भुत, कर्मयोगमूलक ध्यानयोग की अनुभव - मंजूषा है।
इस पुस्तक में अध्यात्म-साधना तथा ध्यान - उपासना के क्षेत्र में एकदम मौलिक तथा नवीन चिंतन प्राप्त होता है। ध्यान आदि की हमारे यहाँ अनेक प्रणालियाँ उद्भूत हुईं और अनेक संतों तथा ऋषियों ने प्रयोग किये। विनोबाजी
किसी विशेष प्रणाली -पद्धति का निर्देश न कर के, समाज में रह कर, शरीरश्रमपूर्वक, कर्म, करने को ही ध्यान कहा है। उन्होंने एक जगह कहा है, 'अपरिग्रह और शरीरश्रम के आधार पर कर्मयोग ही ध्यानयोग बन जाता है ।' विनोबा ने जो कुछ कहा है अनुभव कर के कहा है और शास्त्रों को पचा कर, वैज्ञानिक विश्लेषण कर के कहा है । वे जगत् को मिथ्या न कह कर स्फूर्ति का स्रोत कहते हैं। एक-एक शब्द में उनके कर्मयोगमय जीवन का अनुभव बोल रहा है और यही कर्मयोग उनका सतत ध्यानयोग था ।
पुस्तक की महत्ता के विषय में स्व० पूज्य दादा धर्माधिकारी तथा संकलनकर्त्री उषाबहन के कथन के उपरांत और कुछ कहने को नहीं रह जाता ।
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यह महागुहा प्रखर प्रकाशमान् खुला निर्मल हृदय आकाश है, जिसमें प्रविष्ट होने पर एकांगी एवं अवैज्ञानिक, निष्क्रिय, पलायनवादी परंपराओं, मान्यताओं और पद्धतियों का तमस हट जाता है ।
हमारा विश्वास है कि हिन्दी - जगत् में इस अभिनव, समाज-क्रांति, जीवन-क्रांति पैदा करनेवाली, अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय करनेवाली, परमार्थ और व्यवहार में एकरूपता लानेवाली अनुपम कृति का विशेष समादर होगा ।