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ऋण कृत्वा- Rinam Kritva

ऋण कृत्वा- Rinam Kritva

चार्वाक दर्शन की सेहज यात्रा- Charvak Darshan Ki Sahaj Yatra
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 161
Available in: Paperback
Regular price Rs. 742.50 Sale price
Unit price per
Tax included.

Description

चार्वाक धर्म को कोयल की कूक में, मोर के रंग-बिरंगे पंखों में, गन्ने की मिठास में, प्रकृति के सौन्दर्य में, आम लोगों की ख़ुशी में, मनुष्य की मानवता में, समाज की नैतिक-व्यवस्था में, पंचमहाव्रत के पालन आदि में देखते हैं। इनके अनुसार धर्म वैयक्तिक-नैतिकता, सामाजिक- व्यवस्था, संगतता, मानवीय सहानुभूति एवं आपसी प्रेम में निहित है। परलोकवादी- आध्यात्मिकता प्रत्यक्षवादिता के प्रतिकूल होने के कारण आडम्बर एवं मिथ्याचार है। लौकिक स्तर पर विश्व के प्रति आत्मीयता का विकास एवं विस्तार चार्वाक दर्शन का धार्मिक तथा आध्यात्मिक अभीष्ट है । इस प्रकार ईश्वरवादी तथा परलोकवादी हुए बिना भी मनुष्य धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्कर्ष को पा सकता है। यही चार्वाक दर्शन का 'लौकिक-अध्यात्मवाद' है।..." इसी पुस्तक से
प्रो. (डॉ.) राज कुमार सिन्हा का जन्म दिनांक जून 1960 ई. को मीर टोला, बनगाँव रोड सहरसा, बिहार में हुआ। वर्तमान में आप बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अधीन एस. एन. एस. आर. के. एस. कॉलेज, सहरसा के दर्शनशास्त्र विभाग में 'एसोसिएट प्रोफ़ेसर' के पद पर कार्यरत हैं ।
आपको 2009 ई. में एल. एन. एम. विश्वविद्यालय, दरभंगा द्वारा पी.एच डी. (शोध का विषय— भारत के भौतिकवादी चिंतन में अध्यात्मवाद का विरोध : एक समीक्षात्मक अध्ययन) की उपाधि प्रदान की गयी है।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पुस्तक - शृंखला तथा पत्रिकाओं में भारतीय भौतिकवाद से सम्बंधित विभिन्न विचार-बिन्दू पर आपके कई आलेख प्रकाशित हैं। आपने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अनेक सेमिनार में चार्वाक दर्शन के विविध आयामों को पत्रवाचन के माध्यम से उजागर किया है। भारतीय भौतिकवाद आपके अध्ययन का रूचिकर क्षेत्र है ।