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  • गृह्यानुष्ठानों का सांस्कृतिक अन्वेषण-Grhyanushthanon ka Sanskrtik Anveshan
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गृह्यानुष्ठानों का सांस्कृतिक अन्वेषण-Grhyanushthanon ka Sanskrtik Anveshan

A Cultural Inquiry into The Grhya Sutras
Publisher: Nag Publishers
Language: Hindi
Total Pages: 558
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 900.00
Unit price per
Tax included.

Description

“गृह्यानुष्ठानो का सांस्कृतिक अन्वेषण” विषय का अर्थ और विषय-वस्तु समझने के लिए इसे दो भागों में देखना ज़रूरी है —


1. विषय का मूल अर्थ

  • गृह्यानुष्ठान (Gṛhyānuṣṭhāna) – वैदिक परंपरा में गृह्यसूत्रों में वर्णित वे संस्कार और अनुष्ठान हैं जो गृहस्थ जीवन से संबंधित होते हैं। इनमें जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कार (जैसे जातकर्म, नामकरण, उपनयन, विवाह, श्राद्ध आदि) और दैनिक घरेलू अनुष्ठान शामिल होते हैं।

  • सांस्कृतिक अन्वेषण (Sāṃskṛtika Anveṣaṇa) – इसका अर्थ है इन अनुष्ठानों के सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक आयामों का अध्ययन करना।

इस प्रकार विषय का आशय है –
👉 “भारतीय संस्कृति में गृह्यानुष्ठानों की उत्पत्ति, विकास, सामाजिक भूमिका, प्रतीकात्मकता और उनके सांस्कृतिक प्रभावों का शोधपरक अध्ययन।”

2. विषय के अंतर्गत आने वाले प्रमुख आयाम

यह विषय बहुआयामी है और निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित रहता है –

(a) वैदिक स्रोत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • गृह्यसूत्रों (जैसे Āśvalāyana, Pāraskara, Āpastamba आदि) में वर्णित अनुष्ठानों की उत्पत्ति और विकास।

  • वैदिक युग से लेकर स्मृति और पुराणकाल तक इनका रूपांतरण।

(b) संस्कार और उनका सांस्कृतिक महत्त्व

  • सोलह संस्कारों का विस्तृत अध्ययन और उनका जीवन के प्रत्येक चरण से संबंध।

  • जन्म, विवाह, गृहप्रवेश, श्राद्ध जैसे अनुष्ठानों का सामाजिक और पारिवारिक महत्त्व।

(c) सामाजिक-सांस्कृतिक कार्य और प्रतीकवाद

  • इन अनुष्ठानों के माध्यम से समाज में धर्म, आचार, नैतिकता और पारिवारिक बंधनों की स्थापना।

  • प्रतीकात्मक अर्थ और उनके आध्यात्मिक उद्देश्य।

(d) आधुनिक युग में प्रासंगिकता

  • वर्तमान समाज में इन अनुष्ठानों की स्थिति, परिवर्तन और सांस्कृतिक पुनर्व्याख्या।

  • परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन का अध्ययन।

  • संक्षेप में:
    “गृह्यानुष्ठानों का सांस्कृतिक अन्वेषण” एक ऐसा विषय है जो भारतीय गृहस्थ जीवन में प्रचलित अनुष्ठानों की ऐतिहासिक उत्पत्ति, सांस्कृतिक महत्ता, सामाजिक भूमिका और समकालीन प्रासंगिकता का गहन अध्ययन करता है। यह न केवल धर्मशास्त्र और संस्कृति का विषय है, बल्कि समाजशास्त्र, इतिहास और दर्शन से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।