• महावीरचरितम् (संस्कृत एवम् हिन्दी अनुवाद): Mahaviracarita of Mahakavi Sri Bhavabhuti by Acharya Shriramchandra Mishra
  • महावीरचरितम् (संस्कृत एवम् हिन्दी अनुवाद): Mahaviracarita of Mahakavi Sri Bhavabhuti
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महावीरचरितम् (संस्कृत एवम् हिन्दी अनुवाद): Mahaviracarita of Mahakavi Sri Bhavabhuti

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Description

महावीरचरितम्" (Mahaviracarita) महाकवि श्री भवभूति द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है। यह काव्य भगवान राम के जीवन के कुछ प्रमुख घटनाओं का वर्णन करता है। महाकवि भवभूति का यह काव्य राम के चरित्र को न केवल नायक के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि उनके मनोभावनाओं, संघर्षों और त्रासदियों को भी दर्शाता है। महावीरचरितम् में राम के जीवन के आरंभ से लेकर रावण वध और सीता के साथ उनके पुनर्मिलन तक की घटनाएँ विस्तार से वर्णित हैं।

इस काव्य में भवभूति ने राम को एक आदर्श नायक के रूप में प्रस्तुत किया है, जो धर्म, नीति और मर्यादा के प्रतीक हैं। इसके साथ ही, उन्होंने राम के संघर्षों को मानवीय दृष्टिकोण से चित्रित किया है, जिससे राम के व्यक्तित्व की जटिलताएँ भी उजागर होती हैं।

महावीरचरितम् का सारांश

महावीरचरितम् में कुल तीन उत्तर होते हैं:

  1. प्रथम उत्तर: इसमें राम का जन्म, दशरथ के महल में उनकी स्थिति, और उनके बचपन के कुछ प्रमुख घटनाओं का वर्णन है। इस भाग में राम के व्यक्तित्व के विकास के संकेत मिलते हैं।

  2. द्वितीय उत्तर: इस भाग में राम का वनवास और सीता के साथ उनके संघर्षों का वर्णन है। यह भाग राम के संघर्ष, उनके साहस और समर्पण को दर्शाता है।

  3. तृतीय उत्तर: इस भाग में रावण के साथ राम का युद्ध और सीता की वापसी का उल्लेख है। इस उत्तर में राम की महानता और उनके प्रति भक्ति को प्रकट किया गया है।

श्रीराम चन्द्र मिश्र का अनुवाद

आचार्य श्रीराम चंद्र मिश्र ने महाकवि भवभूति के इस काव्य का हिन्दी में अद्भुत अनुवाद किया है। उनका उद्देश्य था कि संस्कृत साहित्य के इस महान काव्य को हिन्दी भाषी पाठकों तक पहुँचाया जाए ताकि वे राम के जीवन के आदर्श और संघर्ष को सरल और सुलभ भाषा में समझ सकें। श्रीराम चंद्र मिश्र का अनुवाद न केवल शास्त्र के प्रति उनकी श्रद्धा को प्रकट करता है, बल्कि वे काव्य की गहरी भावनाओं और भावनात्मक सूक्ष्मताओं को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं।

अनुवाद की विशेषताएँ

  1. साहित्यिक सुंदरता: श्रीराम चंद्र मिश्र का अनुवाद बहुत ही सटीक और भावनात्मक है। उन्होंने संस्कृत की कठिन शब्दावली को सरल, मधुर और साहित्यिक हिन्दी में अनुवादित किया है।

  2. प्रासंगिकता और संदर्भ: उन्होंने काव्य के प्रत्येक पात्र और घटना को न केवल रामायण के संदर्भ में, बल्कि समाज और मानवता के दृष्टिकोण से भी प्रस्तुत किया है।

  3. धार्मिकता और आदर्श: यह अनुवाद राम के आदर्शों, उनके संघर्षों और उनके धर्म के प्रति समर्पण को स्पष्ट रूप से चित्रित करता है।

यदि आप "महावीरचरितम्" के किसी विशेष अंश या अनुवाद के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया बताएं, मैं उस पर और विस्तार से जानकारी प्रदान कर सकता हूँ।