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  • वाल्मीकि रामायण का छन्द विश्लेषण - Valmiki Ramayana Ka Chhand Vishleshan - Motilal Banarsidass author
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वाल्मीकि रामायण का छन्द विश्लेषण- Valmiki Ramayana Ka Chhand Vishleshan

Metrical Analysis of Valmiki Ramayana
Publisher: Nag Prakashak
Language: Sanskrit, Hindi
Total Pages: 401
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 675.00 Sale price Rs. 825.00
Unit price per
Tax included.

Description

वैदिक तथा शास्त्रीय संस्कृत भाषा के सन्धि-युग में महर्षि वाल्मीकि ने एक महाकाव्य रामायण का निर्माण किया जो संस्कृत साहित्य की नवीन परिपाटी की आधार शिला सिद्ध हुआ। यह काव्य अपने अन्तः स्थल में सांस्कृतिक तथा साहित्यिक दोनों पक्षों को संजोए है। लगभग गत २०० वर्षों से यह काव्य अनुसन्धान का विषय रहा है। प्रस्तुत ग्रन्थ इसके एक साहित्यिक पक्ष-छन्द से सम्बद्ध है जो इस दिशा में सर्वप्रथम प्रयास है। इस काव्य में अनेक प्रकार के छन्दों यथा-अनुष्टुभ्, त्रिष्टुभ्, जगती, तथा अतिजगती का प्रयोग है। परन्तु प्राचुर्य अनुष्टुभ् के दो रूपों-पथ्या और विपुला का है। इनमें भी प्रमुखता पथ्या छन्द की है जो इस काव्य के परवर्ती काल में अनुष्टुभ् की परिभाषा बन गया है। साहित्यिक दृष्टि से रामायण में इसका प्रथम प्रयोग होने से अनेक स्थलों पर इसमें वैचित्र्य दृष्टिगोचर होता है। इन सब के कारणों पर विचार करते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का प्रयास किया गया है। विपुला छन्द के जाति तथा व्यक्ति पक्षों के विश्लेषण के साथ साथ इस काव्य में उपलब्ध अनुष्टुभ् भिन्न विविध छन्द, सर्गान्त प्रयुक्त विविध छन्द, छन्द नियम विरुद्ध पद्य तथा पाद पूर्ति हेतु प्रयुक्त अव्यय का सूक्ष्म दृष्टि से विवेचन किया गया है।

छन्द विश्लेषण के आधार पर वाल्मीकि रामायण का समय निर्धारित करने का प्रयास भी इस ग्रन्थ में है। वस्तुतः इस विश्लेषण के आधार पर इस काव्य की रचना आचार्य पिङ्गल से बहुत पहले हो चुकी थी और महर्षि वाल्मीकि आचार्य शौनक के समकालीन थे।