🔄

  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author
  • प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta - Motilal Banarsidass author

प्राचीन भारतीय परम्पराओं में नैतिकता एवं मूल्य - Prachin Bhartiye Paramparao me Naitikta

Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 457
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 1,950.00 Sale price Rs. 2,175.00
Unit price per
Tax included.

Description

यह पुस्तक प्राचीन भारत के उन शाश्वत जीवन मूल्यों की गहराई से पड़ताल करती है, जिन्होंने सदियों से भारतीय सभ्यता का मागर्दशर्न किया है। इसमें वेदों, उपनिषदों, धर्मशास्रों, श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, महाभारत, तथा जैन और बौद्ध दशर्न में निहित नैतिक शिक्षाओं का विश्लेषण किया गया है। नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, यह पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित VAC पाठ्यक्रम के सभी इकाइयों को समग्रता से समाहित करती है।

पुस्तक में जटिल दार्शनिक अवधारणाओं को भी छात्रों और आम पाठकों के लिए अत्यंत सरल, सहज और रोचक भाषा-शैली में प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक न केवल अकादिमक आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी, बल्कि भारतीय मूल्यों को गहराई से समझने के इच्छुक विद्यार्थियों सहित प्रत्येक पाठक की अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और एक अधिक सार्थक एवं नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगी।
डॉ. दीपक कुमार (जन्म: 1991, ग्राम लुहारी, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश) ने हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

तत्पश्चात, आपने दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग से क्रमशः एम.ए., एम.फिल. तथा पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त की, साथ ही पालि और संस्कृत भाषाओं में डिप्लोमा भी किया है। डॉ. कुमार विगत सात वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के सहायक प्राध्यापक (अतिथि) के रूप में कार्यरत हैं। आपके शैक्षणिक रुचि के प्रमुख क्षेत्र भारतीय धर्मदशर्न, भारतीय ज्ञान परम्परा, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं विरासत अध्ययन हैं।

आपने 30 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं तथा प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आपके 10 से अधिक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी प्रथम पुस्तक "बौद्ध, जैन, गांधीवाद एवं शान्ति अध्ययन" का प्रकाशन वर्ष 2018 में हुआ। शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ आप सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। आप 'गुहार' नामक गैर-सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) के संस्थापक सदस्य एवं वर्तमान अध्यक्ष है।