• Economic History of Modern India- आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास
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Economic History of Modern India- आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास

Author(s): Dhanpati Pandey
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 224
Available in: Paperback
Regular price Rs. 280.00
Unit price per

Description

आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास" (Modern Economic History of India) by धनपति पांडेय एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की यात्रा को विस्तार से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक ब्रिटिश काल से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तक भारतीय अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तनों का अध्ययन करती है।

पुस्तक में जो प्रमुख विषय और घटनाएँ शामिल हैं, वे निम्नलिखित हैं:

1. ब्रिटिश काल में आर्थिक नीतियाँ:

  • ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय संसाधनों का शोषण किस प्रकार किया, इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।
  • ब्रिटिशों के व्यापारिक और कृषि संबंधी नीतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था पर किस तरह से नकारात्मक प्रभाव डालती थीं, इसका विश्लेषण किया गया है।
  • औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीय उद्योगों और कृषि क्षेत्र पर जो दबाव पड़ा, उसे भी पुस्तक में उल्लेखित किया गया है।

2. औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास:

  • औद्योगिक विकास और भारतीय उद्योगों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • ब्रिटिश शासन में उद्योगों का खात्मा और स्वतंत्रता के बाद भारतीय औद्योगिकीकरण के प्रयासों पर चर्चा की गई है।
  • कृषि और उद्योग के बीच संतुलन बनाने के लिए उठाए गए कदमों का विश्लेषण किया गया है।

3. स्वतंत्रता के बाद की आर्थिक योजना:

  • भारत की स्वतंत्रता के बाद आर्थिक योजनाओं की शुरुआत, जैसे कि योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था, और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निर्माण।
  • भारतीय सरकार ने आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए जो योजनाएँ बनाई थीं, उन्हें विस्तार से बताया गया है।
  • इस दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार और विकास के लिए कई नीतियाँ अपनाई गईं, जैसे हरित क्रांति और औद्योगिक नीति।

4. वैश्वीकरण और समकालीन चुनौतियाँ:

  • 1990 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए सुधारों और उदारीकरण की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है।
  • यह पुस्तक यह भी बताती है कि कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर जुड़ी और उसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
  • पुस्तक में यह भी बताया गया है कि वैश्वीकरण ने भारत को कई अवसर दिए, लेकिन इसके साथ कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुईं।