• Gautama Buddha: Life and Philosophy of Religion Bhaag 1- गौतम बुद्ध जीवन और धर्म दर्शन
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Gautama Buddha: Life and Philosophy of Religion Bhaag 1- गौतम बुद्ध जीवन और धर्म दर्शन

Author(s): Mamraj Singh
Publisher: Gautam Book Centre
Language: Hindi
Total Pages: 805
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 1,400.00
Unit price per

Description

गौतम बुद्ध का जीवन और धर्म दर्शन भारतीय इतिहास और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे बौद्ध धर्म के संस्थापक थे, और उनका जीवन और उपदेश आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं।

गौतम बुद्ध का जीवन:

गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था और वे शाक्य族 के राजा शुद्धोधन और रानी माया के पुत्र थे। बचपन में सिद्धार्थ का जीवन ऐश्वर्य और सुख से भरा था।

जीवन के महत्वपूर्ण चरण:

  1. राजमहल में जीवन: सिद्धार्थ का पालन-पोषण महल में हुआ था, जहां उन्हें बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग रखा गया था। उनके पिता चाहते थे कि उनका पुत्र कभी भी दुःख का अनुभव न करे, इस कारण उन्होंने सिद्धार्थ को हर प्रकार के दुख और परेशानी से बचा रखा था।

  2. महल से बाहर निकलना: एक दिन, सिद्धार्थ ने महल से बाहर निकलने का निर्णय लिया। जब वे बाहर गए, तो उन्होंने चार दृश्य देखे जो उनके जीवन की दिशा बदलने वाले थे:

    • एक वृद्ध व्यक्ति,
    • एक रोगी,
    • एक शव,
    • एक संन्यासी। इन दृश्यों ने उन्हें यह समझाया कि जीवन में दुःख, बुढ़ापा, रोग और मृत्यु अपरिहार्य हैं।
  3. संन्यास और साधना: इन दृश्यों से प्रभावित होकर सिद्धार्थ ने घर, परिवार और ऐश्वर्य का त्याग किया और जंगल में जाकर साधना शुरू की। वे विभिन्न गुरुओं के पास गए और कठोर तपस्या की, लेकिन अंततः उन्हें यह महसूस हुआ कि कठोर तपस्या से मुक्ति नहीं मिल सकती।

  4. बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति: एक दिन, सिद्धार्थ ने बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर बैठने का निर्णय लिया। उन्होंने संकल्प किया कि वे तब तक नहीं उठेंगे जब तक उन्हें सत्य का ज्ञान नहीं हो जाता। कई दिनों तक ध्यान करने के बाद, उन्हें "बोधि" यानी ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे गौतम बुद्ध के रूप में प्रसिद्ध हुए।

गौतम बुद्ध का धर्म और दर्शन:

गौतम बुद्ध ने अपने अनुभवों और ज्ञान को मानवता के लाभ के लिए साझा किया। उनका धर्म और दर्शन सरल, व्यावहारिक और जीवन के वास्तविकता से जुड़ा हुआ था।

बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत:

  1. चार आर्य सत्य (चार नोबल ट्रुथ्स):

    • दुःख (दुख): जीवन में दुःख है। जन्म, बुढ़ापा, बीमारी, मृत्यु आदि दुःख के कारण हैं।
    • दुःख का कारण (समुदय): दुःख का मुख्य कारण तृष्णा (लालच, इच्छा) है।
    • दुःख का समाप्ति (निरोध): तृष्णा की समाप्ति से दुःख का निवारण संभव है।
    • दुःख के समाप्ति का मार्ग (मार्ग): दुःख से मुक्ति का मार्ग "आष्टांगिक मार्ग" (आठfold path) है, जो सही दृष्टिकोण, सही संकल्प, सही शब्द, सही कर्म, सही आजीविका, सही प्रयास, सही मानसिकता, और सही ध्यान पर आधारित है।
  2. आष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path): यह आठ कदमों का एक मार्ग है, जिसका पालन करके व्यक्ति दुःख से मुक्त हो सकता है और निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त कर सकता है। ये आठ सिद्धांत हैं:

    • सही दृष्टिकोण
    • सही संकल्प
    • सही शब्द
    • सही कार्य
    • सही आजीविका
    • सही प्रयास
    • सही मानसिकता
    • सही ध्यान
  3. कर्म और पुनर्जन्म: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि हमारे कर्म (अच्छे और बुरे) हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं। अच्छे कर्म हमें सुख और शांति की ओर ले जाते हैं, जबकि बुरे कर्म दुःख और कष्ट की ओर। पुनर्जन्म की अवधारणा भी बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण है, जिसमें व्यक्ति का जीवन चक्र चलता रहता है, जब तक वह निर्वाण को प्राप्त नहीं कर लेता।

  4. मध्यम मार्ग: बुद्ध ने यह भी सिखाया कि जीवन का मार्ग न तो अत्यधिक भोग विलासिता में होना चाहिए और न ही अत्यधिक तपस्या में। उन्हें विश्वास था कि जीवन का सही मार्ग "मध्यम मार्ग" है, जिसमें संतुलन और संयम होता है।

गौतम बुद्ध के योगदान:

  • ध्यान और साधना: बुद्ध ने ध्यान और साधना के महत्व को समझाया और इसे सभी के लिए सुलभ बनाया।
  • समानता और सहिष्णुता: उन्होंने जाति, लिंग या सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी को नीचा नहीं माना। बौद्ध धर्म में सभी जीवों को समान माना जाता है।
  • निर्वाण की शिक्षा: उनका अंतिम उद्देश्य था दुःख का अंत और निर्वाण की प्राप्ति, जो शांति और मुक्ति का परम रूप है।