ईशावास्योपनिषद् उपनिषदों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे वेदांत का आधार माना जाता है। यह उपनिषद् मुख्य रूप से ब्रह्म, आत्मा और विश्व के संबंध को समझाने पर केंद्रित है।
इसका प्रमुख संदेश है कि सम्पूर्ण जगत में ईश्वर का वास है और हमें इस जगत को संतोष और तृष्णा से परे देखकर उसका सही अनुभव करना चाहिए। यह उपनिषद् मनुष्य को ज्ञान, त्याग और संतोष का मार्ग दिखाता है।
इसके कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं:
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ईश्वर का सर्वत्र वास: "ईशा वास्यमिदं सर्वं" का सिद्धांत बताता है कि सभी वस्तुओं में ईश्वर का निवास है।
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त्याग का महत्व: सांसारिक वस्तुओं की आसक्ति से दूर रहना और अपने आत्मा की पहचान करना आवश्यक है।
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अहंकार से मुक्ति: अहंकार को त्यागकर ब्रह्म के साथ एकत्व का अनुभव करना चाहिए।
ईशावास्योपनिषद् का अध्ययन मनुष्य को आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर प्रेरित करता है।