Kasyapa Samhita- काश्यपसंहिता

Kasyapa Samhita- काश्यपसंहिता

Author(s): Sri Satyapala Bhisagacharya
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Sansthan
Language: Sanskrit & Hindi
Total Pages: 578
Available in: Paperback
Regular price Rs. 1,323.00
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Description

कश्यप संहिता (Kashyapa Samhita) आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो शिशु रोगों, स्त्री रोगों और गर्भावस्था से संबंधित विषयों पर आधारित है। यह ग्रंथ कश्यप ऋषि द्वारा रचित माना जाता है। कश्यप संहिता का प्रमुख उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और स्त्रियों से संबंधित चिकित्सा को समझाना और उनके रोगों का उपचार प्रदान करना है।

कश्यप संहिता का महत्व:

  1. शिशु चिकित्सा: इस ग्रंथ में शिशु के जन्म से पहले और बाद की देखभाल, आहार, औषधि, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
  2. स्त्री रोग: महिलाओं के विभिन्न रोगों जैसे मासिक धर्म के असंतुलन, गर्भवस्था, प्रसव, और स्तनपान की समस्याओं के उपचार पर भी विस्तृत जानकारी दी गई है।
  3. गर्भवती महिला की देखभाल: गर्भवती महिला के आहार, जीवनशैली और औषधियों के बारे में भी कश्यप संहिता में बताया गया है। यह गर्भवती महिला की शारीरिक और मानसिक स्थिति को सही बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  4. आधुनिक आयुर्वेदिक उपचार: कश्यप संहिता में इस्तेमाल किए जाने वाले औषधियों, आसनों, पंचकर्म, और अन्य उपचार विधियों का वर्णन है, जो आज भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उपयोगी माने जाते हैं।

कश्यप संहिता की संरचना:

कश्यप संहिता का विभाजन 8 भागों में किया गया है:

  1. स्त्रीरोग: महिलाओं से संबंधित बीमारियों के उपचार पर प्रकाश डालता है।
  2. कुमारभृत्य: शिशु चिकित्सा से संबंधित है।
  3. अच्छूत तंत्र: औषधियों और उपचार पद्धतियों पर आधारित है।
  4. चिकित्सा भाग: सामान्य चिकित्सा उपचार और आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया गया है।
  5. धातु वर्धन: शरीर की धातुओं को सही बनाए रखने के लिए उपायों का वर्णन।
  6. रक्तविकार: रक्त से संबंधित बीमारियों का इलाज।
  7. पांचकर्म विधि: पंचकर्म उपचार पद्धतियों का विवरण।
  8. साधक व रोगी निवारण: रोगों के कारणों और उनके निवारण के उपायों का वर्णन।