महावंश (Mahavamsa) एक प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ है, जो श्रीलंकाई बौद्ध इतिहास और संस्कृति को वर्णित करता है। इसका संस्कृत अर्थ है "महान वंश" और यह मुख्यतः श्रीलंका के बौद्ध मठों के इतिहास को दर्ज करता है। महावंश में भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं, उनके उपदेशों और उनके शिष्य बौद्ध भिक्षुओं के कार्यों का विस्तृत वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ की रचनाएँ विशेष रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा की गई हैं, और यह बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को समझाने में मदद करती हैं।
महावंश का प्रमुख उद्देश्य श्रीलंकाई बौद्धों को अपनी उत्पत्ति और धार्मिक परंपराओं से जोड़ना है। इसमें पवित्र धर्मगुरु महिंदा द्वारा श्रीलंकाई लोगों को बौद्ध धर्म का उपदेश देने, पहले पल्लवों, कदम्बों और अन्य राजवंशों के समय में बौद्ध धर्म के प्रसार, और उस समय की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन मिलता है।
महावंश की रचना संस्कृत या पालि में की गई थी और इसे महावंशकार द्वारा लिखा गया माना जाता है। यह ग्रंथ आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के बीच एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में पढ़ा और पूजा जाता है।
महावंश में भगवान बुद्ध के समय से लेकर चौथी शताब्दी तक के ऐतिहासिक घटनाओं का संग्रह किया गया है, जो बौद्ध धर्म के विकास, श्रीलंका के बौद्ध संस्कृति, और उनके राजा-महाराजाओं की भूमिका को उजागर करता है।
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