भारत और पाकिस्तान का विभाजन 14-15 अगस्त 1947 को हुआ था। यह विभाजन ब्रिटिश साम्राज्य के भारतीय उपमहाद्वीप से विदाई के समय हुआ। इसके परिणामस्वरूप दो स्वतंत्र राष्ट्र बने—भारत और पाकिस्तान। विभाजन की वजह से विशाल पैमाने पर हिंसा, शरणार्थियों का प्रवास, और मानवाधिकार उल्लंघन हुए।
धार्मिक असहमति: ब्रिटिश राज के दौरान भारत में हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बढ़ता गया था। मुस्लिम समुदाय ने महसूस किया कि उनकी धार्मिक पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए एक अलग देश की आवश्यकता है।
मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच असहमति: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया, लेकिन मुस्लिम लीग ने मुस्लिमों के लिए अलग राष्ट्र की मांग की। यह विचार पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने प्रस्तुत किया था, जिसे "दो राष्ट्र सिद्धांत" कहा गया। इस सिद्धांत के अनुसार हिन्दू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, जिन्हें अलग-अलग स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोर स्थिति: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति कम हो गई थी, और उसने भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया।
पाकिस्तान का निर्माण: पाकिस्तान दो भागों में विभाजित था—पश्चिम पाकिस्तान (जो आज पाकिस्तान है) और पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है)। पाकिस्तान का गठन मुस्लिमों के लिए एक अलग देश के रूप में हुआ।
हिंसा और शरणार्थी संकट: विभाजन के समय, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें लाखों लोग मारे गए और करोड़ों लोग अपने-अपने धार्मिक विश्वास के आधार पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने को मजबूर हुए। यह शरणार्थी संकट इतिहास का एक काला अध्याय है।
कश्मीर विवाद: विभाजन के बाद कश्मीर राज्य ने अपनी स्वतंत्रता का चुनाव किया, लेकिन पाकिस्तान ने उसे अपने हिस्से के रूप में दावा किया, जिससे 1947 में कश्मीर युद्ध हुआ। यह विवाद आज भी दोनों देशों के बीच कायम है।
विभाजन ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को स्थायी रूप से बदल दिया। इसने दोनों देशों के बीच युद्धों की नींव रखी और आज भी भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बना हुआ है।
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