प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् (संस्कृत) एक विशेष और दार्शनिक शब्द है, जो "प्रत्यभिज्ञा" और "ह्रद्यम्" से मिलकर बना है।
इस प्रकार, प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् का शाब्दिक अर्थ है "हृदय से पहचान" या "हृदय में अनुभव की जाने वाली पहचान"।
यह शब्द मुख्य रूप से प्रत्यभिज्ञा दर्शन से जुड़ा हुआ है, जो एक प्रमुख तात्त्विक दृष्टिकोण है। प्रत्यभिज्ञा दर्शन में, विशेष रूप से कश्मीर शैववाद (Kashmir Shaivism) में, आत्मा (शिव) की पहचान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विचारधारा यह मानती है कि व्यक्ति का असली स्वरूप आत्मा है, और उसे केवल हृदय से पहचानने की आवश्यकता है।
प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् का अर्थ है 'हृदय से पहचान' या 'हृदय में आत्मा की पहचान करना'। यह आत्म-ज्ञान और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
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