• Pratyabhijna Hrdyam- प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् (संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद)
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Pratyabhijna Hrdyam- प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् (संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद)

Author(s): Jaidev Singh
Publisher: Motilal banarsidass
Language: Sanskrit & Hindi
Total Pages: 168
Available in: Paperback
Regular price Rs. 245.00
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Description

प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् (संस्कृत) एक विशेष और दार्शनिक शब्द है, जो "प्रत्यभिज्ञा" और "ह्रद्यम्" से मिलकर बना है।

संस्कृत में अर्थ:

  • प्रत्यभिज्ञा = पहचान या अनुभव (Recognition)
  • ह्रद्यम् = ह्रदय या ह्रदय से संबंधित

इस प्रकार, प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् का शाब्दिक अर्थ है "हृदय से पहचान" या "हृदय में अनुभव की जाने वाली पहचान"।

दार्शनिक संदर्भ:

यह शब्द मुख्य रूप से प्रत्यभिज्ञा दर्शन से जुड़ा हुआ है, जो एक प्रमुख तात्त्विक दृष्टिकोण है। प्रत्यभिज्ञा दर्शन में, विशेष रूप से कश्मीर शैववाद (Kashmir Shaivism) में, आत्मा (शिव) की पहचान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विचारधारा यह मानती है कि व्यक्ति का असली स्वरूप आत्मा है, और उसे केवल हृदय से पहचानने की आवश्यकता है।

हिन्दी में अनुवाद:

प्रत्यभिज्ञाह्रद्यम् का अर्थ है 'हृदय से पहचान' या 'हृदय में आत्मा की पहचान करना'। यह आत्म-ज्ञान और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने की प्रक्रिया को दर्शाता है।