
Premchand Ke Vichar (Set of 3 vol)
Publisher: Vani Prakashan
Language: Hindi
Total Pages: 1270
Available in: Hardbound
Regular price
Rs. 6,300.00
पीड़ित भारतीयों के मसीहा मुंशी प्रेमचंद ने राष्ट्रीय जीवन की विघटनकारी प्रवृत्तियों और उसके दोषों को सामने रखकर स्वस्थ और सर्वथा अपेक्षित साहित्य के निर्माण का कार्य अपने कथा-साहित्य के साथ-साथ अपने विभिन्न निबन्धों के माध्यम से भी किया। उनके इन निबन्धों के साधारण से साधारण विषयों में तत्कालीन राष्ट्रीय अस्मिता के रक्षार्थ जनक्रान्ति को अपेक्षित समन्वित शक्ति प्रदान करने वाले दिव्य भावों का सन्निवेश हुआ है। इस प्रकार उनके इन निबन्धों पर उनके मानवतावादी साहित्यकार होने की पूरी छाप पड़ी है। शाश्वत राष्ट्रीय-सामाजिक मूल्यों के तलाश के प्रति आग्रहवान होने और आसन्न संकट के प्रति विशेष रूप से सजग होने के कारण उनके निबन्ध आज भी प्रासंगिक हैं।
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