थेरीगाथा (Therigatha) बौद्ध धर्म के पाली ग्रंथों का एक हिस्सा है, जिसमें बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा गाए गए गीतों का संग्रह है। "थेरी" का अर्थ है "वृद्धा भिक्षुणी" और "गाथा" का अर्थ है "गीत" या "कविता", इसलिए थेरीगाथा का मतलब है "वृद्धा भिक्षुणियों के गीत"। यह ग्रंथ बौद्ध भिक्षुणियों के अनुभव, उनके आत्मज्ञान की यात्रा और बोधिसत्व के मार्ग पर उनके संघर्षों को व्यक्त करता है। थेरीगाथा में कुल 73 भिक्षुणियों की कविताएँ शामिल हैं, जो अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करती हैं, जैसे कि दुख, दुख का अंत, आत्मज्ञान और आत्मनिर्भरता।
यह ग्रंथ सुत्तपिटक के अंतर्गत आता है, और पाली काव्य के रूप में बहुत महत्व रखता है। इसके गीतों में भिक्षुणियों के अनुभव और उनके धार्मिक संघर्षों की गहरी समझ और परिपक्वता मिलती है। इन गाथाओं का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म की शिक्षा को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना है।
थेरीगाथा में भिक्षुणियाँ अपने जीवन में हुए संघर्षों और उनके समाधि प्राप्ति की कहानियाँ बताती हैं। यह ग्रंथ महिलाओं के धार्मिक जीवन और उनके योगदान को मान्यता देता है और बौद्ध धर्म में महिलाओं की भूमिका को उजागर करता है।
कुल मिलाकर, थेरीगाथा बौद्ध धर्म में महिलाओं की आवाज़ का एक महत्वपूर्ण संग्रह है, जिसमें उनके आत्मिक उन्नति के प्रयासों और आध्यात्मिक अनुभवों को प्रस्तुत किया गया है।
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